हिन्दी माध्यम की पुस्तक में पेज क्रमांक 197 में लिखा गया है- ‘ भारत में सुरक्षित गर्भपात के लिए आवश्यक अस्पताल और नर्सिंग रूम की संख्या वृद्धि की आवश्यकता है। इसके द्वारा जन्मदर में कमी की जा सकती है। जनसंख्या नियंत्रण के उपाय के रूप में अजन्मे शिशुओं की हत्या को बढ़ाने वाले इस पाठ पर बुद्धिजीवी बेहद आपत्ति कर रहे हैं।
किताबों का लेखन एवं समीक्षा करने वाली राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्(एससीईआरटी) के संचालक संजय ओझा का कहना है कि यह चैप्टर हटाने के लिए सिफारिश पहले ही की जा चुकी है। नए साल की जो पुस्तकें आ रही हैं, उनमें विवादित पाठ्यक्रमों को हटा दिया गया है। यह किताब 2007-08 में छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने लिखवाई थी। 2009 के बाद किताबों की समीक्षा एवं संशोधन , लेखन आदि का काम एससीईआरटी को सौंप दिया गया है।
कांग्रेसियों ने जताया आपत्ति
मामले को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने भी अपने सियासी सुर निकालना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के महामंत्री और मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि बच्चों के सर्वांगीण विकास और जागरूकता के लिए कुछ आवश्यक जानकारियां पाठ्य पुस्तकों में बताया जाना जरूरी है, भाजपा सरकार पाठ्य पुस्तकों में सतही और आधा अधूरा ज्ञान परोस कर बच्चों में गलत संस्कार डाल रही है।
– जितने भी विवादित टॉपिक्स या चेप्टर हैं, उन्हें हटाने के लिए कमेटी ने अनुशंसा कर दिया है। नई किताबों के प्रकाशन के लिए भी कहा गया है। जिस चेप्टर की बात की जा रही है, इसे पहले ही हटाने की अनुशंसा हो गई है। पुस्तकों का लेखन 2007 में किया गया था।
संजय ओझा, संचालक, एससीईआरटी
– किताब में अस्पतालों और नर्सिंग होम्स के बढ़ाने का कथन करते हुए जिस तरह से गर्भपात की आवश्यकता को बताया जा रहा है, वह कथन ठीक नहीं है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
प्रो. मिताश्री मित्रा, रविवि
– गर्भपात मेडिकल टर्मिनेशसन प्रिग्नैंसी में होता है। गलत बात तब कहा जाएगा यदि किताब में यह कहा गया हो कि लिंग जांच के बाद गर्भपात किया जाना है। हालांकि इस तरह का कोई कथन नहीं लगता है। इसलिए इसे ज्यादा आपत्तिजनक कहना ठीक नहीं होगा।
डॉ. अम्बादेवी सेठ, मनौवैज्ञानिक एवं शिक्षाविद्