बिहार में भ्रष्ट लोकसेवकों की संपत्ति जब्त करने की मुहिम होगी तेज

भ्रष्ट लोकसेवकों की संपत्ति जब्त करने की मुहिम अब तेज होगी। संपत्ति जब्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के बाद निगरानी विभाग का हौसला बढ़ा है। आय से अधिक संपत्ति मामले में पकड़े गए अधिकारियों की संपत्ति जब्त की जाएगी। संपत्ति जब्त कराने के लिए निगरानी विभाग अदालतों से गुहार लगाएगा। विशेष निगरानी इकाई में अभी तक डीए केस के 12 मामले दर्ज किए हैं इनमें अधिसंख्य मामले में चार्जशीट दायर हो चुकी है।

निगरानी इकाई के आईजी अनुपमा निलेकर चंद्रा ने बताया कि पुराने मामले के निपटारे के बाद ही नए का उद्भेदन किया जाएगा। पटना के पूर्व रजिस्ट्रार अजय कृष्ण मिश्र, जेल निदेशक वीरचंद्र प्रसाद सिंह, पथ निर्माण विभाग के जूनियर इंजीनियर शरदेन्दु के खिलाफ शीघ्र चार्जशीट दाखिल की जाएगी। इधर, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में भी जिन भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया है उनकी सूची तैयार की जा रही है।

पूर्व डीजीपी नारायण मिश्रा, पूर्व आईएएस एस. एस. वर्मा ने बिहार सरकार के संपत्ति जब्ती कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार भ्रष्ट लोकसेवकों की संपत्ति जब्त कर सकती है और इसके लिए अगर कानून में संशोधन की जरूरत हो तो उसे पूरा किया जाए। निगरानी विभाग ने दर्जनों अफसरों की संपत्ति जब्त करने के लिए विशेष निगरानी कोर्ट में मामला दर्ज कराया है। शुरू में कुल 55 भ्रष्ट लोकसेवकों की संपत्ति जब्त करने की सूची तैयार की गई थी जिसमें अभी तक 12 भ्रष्ट लोकसेवकों की संपत्ति जब्त करने का आदेश हो चुका है।

 

इनकी संपत्ति जब्त करने का आदेश 
– नारायण मिश्रा, पूर्व डीजीपी
– एस. एस. वर्मा, आईएएस 
– गिरीश कुमार, सहायक कोषागार पटना
– अनिल कुमार, सहायक वाणिज्यकर आयुक्त
– सुशील कुमार चौधरी, लेखापाल मुजफ्फरपुर
– ध्रुवनारायण चौधरी, राजभाषा परिषद के निदेशक 
– रघुवंश कुंवर, औरंगाबाद के तत्कालीन एमवीआई 
– भोला प्रसाद, जिला वन पदाधिकारी
– रवीन्द्र प्रसाद सिंह, तत्कालीन निरीक्षक माप-तौल मुजफ्फरपुर
– बेबी कुमारी महिला सिपाही मुजफ्फरपुर पुलिस बल 
– गिरीश कुमार, सहायक, पटना कोषागार
– शकुंतला देवी, महिला सिपाही, समस्तीपुर
– श्याम नारायण सिंह, खनन निरीक्षक गया

 

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