जबलपुर। वेतन इतना है कि हर साल नई कार या बाइक खरीद सकते हैं लेकिन आराम और रुतबे से ज्यादा चिंता इन्हें बिगड़ते पर्यावरण की है। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के चीफ एग्रोनॉमिस्ट डा. वी.के. शुक्ला साइकिल से ही विश्वविद्यालय जाते हैं। दिन भर के काम भी साइकिल से ही निपटाते हैं। इन्हें साइकिल वाले साइंटिस्ट के नाम से भी पहचाना जाने लगा है।
61 साल के फिट डा. शुक्ला को देखकर दूसरे प्रोफेसर भी अपने आपको फिट रखने के लिए साइकिल चलाने लगे हैं। डा. शुक्ला से प्रेरणा लेकर उनके ढेरों छात्र भी अब साइकिल का इस्तेमाल कर रहे हैं। किसानों के लिए उन्न्त तकनीकों पर रिसर्च करने वाले डा. शुक्ला नौकरी में आने से लेकर आज तक अधिकांश कामों के लिए साइकिल का ही इस्तेमाल करते हैं।
उन्हें लगा कि अपने साथ-साथ समाज को भी पर्यावरण बचाने के लिए आगे लाने की जरूरत है। जब शरीर और पर्यावरण ही नहीं बचेगा तो इतनी दौलत का लोग क्या करेंगे। इसी प्रेरणा को आगे बढ़ाने के लिए डा. शुक्ला ने दोबारा कार या बाइक का उपयोग नहीं करने का फैसला किया। अब स्थिति यह है कि डा. शुक्ला साइकिल से रोड पर गुजरते हैं तो उनके सहयोगी प्रोफेसर कार से निकलने में हिचकिचाते भी हैं।