सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्रदूषण चिंताजनक स्तर पर

दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को बहुत ही गंभीर बताते हुये सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि इस संकट को हल करने के लिये बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है और इसके लिये राजधानी में आवश्यक वस्तुयें लाने वाले वाहनों के अलावा डीजल से चलने वाले सभी ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना पड़ सकता है।

न्यायालय ने केन्द्र सरकार से कहा कि इस मामले में सभी भागीदारों से परामर्श करके सर्वमान्य न्यूनतम स्वीकार्य कार्यक्रम पेश किया जाये।

शीर्ष अदालत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के एक न्यायाधीश की दिल्ली यात्रा का उदाहरण देते हुये कहा, जब विदेशी मेहमान दिल्ली आते हैं और राजधानी में प्रदूषण के अत्यधिक स्तर की ओर इशारा करते हैं तो यह हमारे लिये बहुत ही शर्मिन्दगी की वजह बनता है।

प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रदूषण बर्दाश्त नहीं करने वाली सीमा दिल्ली को दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहर के रूप में बदनाम कर रही है। पीठ ने कहा कि एक जनवरी से निजी कारों के लिये एक एक दिन चलने की अनुमति देने संबंधी सम और विषम नंबर की नीति आपातकालीन उपाय है।

पीठ ने कहा, यह बहुत ही गंभीर मामला है और दिल्ली के सबसे अधिक प्रदूषित शहर होने के कारण दुनिया में बदनामी हो रही है। न्यायालय इसके साथ ही वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे द्वारा अंतरिम उपाय के रूप में दिये गये सुक्षावों पर विचार के लिये सहमत हो गया। साल्वे का सुझाव था कि हर किस्म के डीजल से चलने वाले ट्रकों का दिल्ली में छह सप्ताह के लिये प्रवेश प्रतिबंधित किया जाये ताकि यह पता लगाया जा सके कि ऐसा करने से क्या पहले से ही दूषित वायु की गुणवत्ता में स्पष्ट बदलाव आया है।

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