इंदौर। बड़वानी में 45 मरीजों की आंखों की रोशनी जाने के बाद सरकारी लापरवाही की परतें खुलती जा रही हैं। प्रारंभिक जांच में दवाओं में फंगस होने की बात सामने आई थी। रविवार को एम्स के डॉक्टरों ने भी सॉल्यूशन की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए। शंका जताई जा रही है कि कहीं यही सॉल्यूशन पूरे प्रदेश के अस्पतालों में सप्लाई तो नहीं हो गया।
नियम के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग में 80 फीसदी दवाओं की खरीदी सेंट्रल टेंडर से की जाती है। 20 फीसदी दवाएं जिले में लोकल स्तर पर खरीदी जा सकती हैं। सेंट्रल टेंडर के तहत प्रदेश स्तर पर चार दवा कंपनियों को ठेका दिया जाता है। इन कंपनियों द्वारा सभी जिलों को मांग के मुताबिक दवा सप्लाई की जाती है। अगर दवा ड्रग कंट्रोल के तय मानकों के अनुसार नहीं है तो यह पूरे प्रदेश के लिए चिंता का विषय है।
केंद्रीय स्तर पर पूरे प्रदेश में एक समान सप्लाई होता है। स्वास्थ्य विभाग अब बड़वानी में उपयोग की गई दवा का बैच नंबर पता कर प्रदेश में पड़ताल में जुट गया है। हालांकि अभी कहीं भी दवाओं के उपयोग पर प्रतिबंध नहीं लगा है। दूसरे जिलों में भी डर फैल गया है क्योंकि इस महीने सभी जिलों में नेत्र परीक्षण शिविर लगना है।
सफाई करता है सॉल्यूशन
डॉक्टरों के अनुसार लिक्विड फ्लूड सॉल्यूशन सर्जरी के दौरान आंख में सफाई का काम करता है। सीरिंज के जरिये इसे लगातार आंख में डाला जाता है। इसके साथ ही कई तरह की दवाओं और इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है।
फिलहाल निर्देश नहीं
फिलहाल शासन से दवाओं के उपयोग के बारे में कोई निर्देश नहीं हैं। मरीजों में संक्रमण की वजह रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी। शासन द्वारा ही इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
-डॉ. शरद पंडित, संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग इंदौर
उस बैच की 10 हजार सलाइन आई थी
बड़वानी। रविवार को बड़वानी के अस्पताल में मुंबई और इंदौर से गई ड्रग इंस्पेक्टर्स की टीम ने उस आई वॉश सॉल्यूशंस की खोजबीन की, जिससे मरीजों की आंखों में फंगल इंफेक्शन हुआ। इस दौरान टीम सदस्यों ने सिविल सर्जन डॉ. एएस विश्नार से पूछा कि किस कंपनी का सॉल्यूशन इस्तेमाल किया गया। डॉ. विश्नार ने बताया कि बेरिल कंपनी की नॉर्मल सलाइन इस्तेमाल हुई है।
संबंधित बैच की 10 हजार बॉटल विभिन्ना वार्डों में सप्लाय की गई है। लेकिन उपयोग अधिक होने से लगभग सभी वार्डों में खत्म हो चुकी है, इसलिए नहीं मिली। नार्मल सलाइन का उपयोग मुख्य रूप से भले ही आई वॉश में किया जाता हो लेकिन अन्य बीमारियों में भी मरीज को यह इंजेक्शन के रूप में चढ़ाया जाता है।