पौधे उगाने वाली मशीन की खरीदी में गोलमाल

गंगेश द्विवेदी/रायपुर। कृषि आधुनिकीकरण के नाम पर पौधे उगाने वाली मशीन की खरीदी में गंभीर गड़बड़ियां की गई हैं। मशीनों की खरीदी के लिए जारी टेंडर में केवल दो कंपनियों ने हिस्सा लिया। दोनों कंपनियों के रेट में बहुत कम अंतर है। आरटीआई कार्यकर्ता उचित शर्मा का आरोप है कि दो बड़ी खरीदी में केवल तीन कंपनियों ने रिंग बनाकर काम हथिया लिया। इस मामले में संचालनालय के अधिकारियों की भी मिलीभगत है।

आरटीआई के तहत निकाले गए दस्तावेज के मुताबिक राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत 1 बिग प्लग टाइप वेजिटेबल सीडलिंग प्रोडक्शन यूनिट और पांच मिनी प्लग टाइप वेजिटेबल सीडलिंग प्रोडक्शन यूनिट की खरीदी के लिए संचालनालय उद्यानिकी की ओर से अभिरुचि की अभिव्यक्ति के आधार पर पिछले साल सक्षम कंपनी, फर्म, संस्थाओं आदि से प्रस्ताव आमंत्रित किए गए थे। मिनी प्लग टाइप की लागत छह करोड़ और बिग प्लग टाइप के लिए 43 लाख की परियोजना लागत के आधार पर प्रस्ताव मंगाए गए थे। दोनों ही तरह के उपकरण के लिए आमंत्रित अलग-अलग विज्ञापन में केवल दो-दो कंपनियां ही हिस्सा लीं।

दोनों कंपनियों द्वारा भरे गए रेट में मामूली अंतर था। मिनी प्लग टाइप के लिए दो कंपनियों रायपुर की मितुल इंटरप्राइजेज और दिल्ली की सवीर बायोटेक लिमिटेड ने टेंडर डाक्यूमेंट जमा किया। मितुल ने इसके लिए 42.70 लाख प्रति मशीन का रेट भरा जबकि दिल्ली की कंपनी ने 42.96 लाख प्रति यूनिट रेट भरा। दोनों फर्मों के रेट में केवल 26 हजार प्रति यूनिट का अंतर था। इसमें से मितुल को वर्कऑर्डर जारी कर दिया गया। इसी तरह बिग प्लग टाइप वेजिटेबल सीडलिंग प्रोडक्शन यूनिट के लिए भी केवल दो ही कंपनियों के प्रस्ताव आए। सवीर बायोटेक नई दिल्ली ने 5 करोड़ 86 लाख 51 हजार 477 रुपए का रेट भरा था जबकि शील बायोटेक नई दिल्ली ने 5 करोड़ 87 लाख 14 हजार रुपए का रेट भरा था। यह काम सवीर बायोटेक को दे दिया गया।

वित्त विशेषज्ञ को भी नहीं रखा समिति में

दोनों निविदा में हिस्सा लेने वाली कंपनियों से तकनीकी और वित्तीय प्रस्ताव अलग-अलग मंगाए गए थे। तकनीकी प्रस्ताव पर विचार करने वाली समिति ने ही वित्तीय प्रस्ताव पर चर्चा करके उसे फाइनल कर दिया। जबकि नियमानुसार वित्तीय प्रस्ताव पर चर्चा के लिए समिति में एक वित्त का विशेषज्ञ होना जरूरी है।

इस बारे में अभी मुझे कोई जानकारी नहीं है, इस संबंध में पड़ताल कराएंगे। गड़बड़ी पाई जाने पर कार्रवाई होगी।

– अनुप श्रीवास्तव, सचिव, कृषि

यूनिट की खरीदी में केवल तीन कंपनियों ने रिंग बनाकर काम हथिया लिया। इस काम में संचालनालय के अधिकारियों की मिलीभगत भी साफ दिखती है। श्री शर्मा का कहना है कि भंडार क्रय नियम के मुताबिक किसी भी निविदा में केवल दो कंपनियों का प्रस्ताव आने पर दोबारा निविदा निकाली जाती है, जिससे स्वस्थ प्रतियोगिता के तहत कम से कम रेट में काम हो। इस टेंडर में इस नियम का उल्लंघन किया गया है।

– उचित शर्मा, आरटीआई कार्यकर्ता

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *