क्यों जीएसटी है सबसे बड़ा आर्थिक सुधार

नई दिल्ली। अरविंद सुब्रमणियन समिति की रिपोर्ट और जदयू व बसपा जैसे विपक्षी दलों के समर्थन में आने के बाद अब जीएसटी की राह आसान होने के कयास लगाए जा रहे हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली से लेकर तमाम अर्थविद इसे आजादी के बाद सबसे बड़ा आर्थिक सुधार मान रहे हैं। आखिर जीएसटी का लागू होना सबसे बड़ा आर्थिक सुधारवादी कदम कैसे होगा।

जानकारों की मानें तो जीएसटी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके लागू होने के बाद पूरा भारत एक बाजार बन जाएगा। अगर कंपनियों के लिए कर ढांचा आसान हो जाएगा तो सरकार के लिए कर वसूलने से जुड़े खर्चे में भारी कमी आएगी। ग्राहकों को भी तमाम उत्पादों व सेवाओं पर बस एक ही कर चुकाना होगा। यही वजह है कि सिर्फ जीएसटी लागू होने से देश की आर्थिक विकास दर में दो से ढाई फीसद की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा है।

सरकार के लिए कर प्रबंधन आसान

अभी केंद्र व राज्यों सरकारों के लिए कर व्यवस्था का प्रबंधन सबसे बड़ी सरदर्दी है। जीएसटी लागू होने के बाद देश में अप्रत्यक्ष कर से जुड़ी सिर्फ एक ही तरह की कर दरें होंगी। इस वजह से केंद्र के स्तर पर लगाए जाने वाले उत्पाद शुल्क, सेवा कर, बिक्री कर और राज्यों के वैट, प्रवेश कर, आबकारी, चुंगी, स्थानीय बिक्री कर, क्षेत्रीय कर समेत अन्य टैक्स इसमें शामिल कर दिए जाएंगे। राज्यों को अब हर स्थानीय कर के लिए अलग विभाग बनाने की झंझट से मुक्ति मिलेगी। कर वसूली का सारा ढांचा बहुत पारदर्शी हो जाएगा।

कंपनियों के सर से हटेगी तलवार

जीएसटी के पक्ष में सबसे ज्यादा लॉबीइंग कॉरपोरेट जगत यूं ही नहीं कर रहा है। अब उन्हें अगल-अलग राज्यों के कर व्यवस्था से जुड़ी झंझट में नहीं पड़ना होगा। हर राज्य में कर भुगतान के लिए न तो रिकॉर्ड रखना होगा और न ही उसके लिए अलग व्यवस्था करनी होगी। जीएसटी के बाद एक ही जगह उत्पादों या सेवाओं के लिए टैक्स का भुगतान करना होगा। कंपनियों को अब राज्य सिर्फ बेहतर कर ढांचे का प्रस्ताव देकर अपने यहां निवेश के लिए नहीं लुभा सकेंगे।

ग्राहकों पर एक ही तरह का कर

जीएसटी का क्रियान्वयन ग्राहकों को भी प्रभावित करेगा। वैसे, इसकी दरें क्या होंगी, इसका फैसला होने के बाद ही उत्पादों या सेवाओं की कीमतें तय होंगी। आर्थिक थिंक टैंक एनसीईएआर की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकांश सेवाओं की कीमतों में नरमी आएगी। साथ ही जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के स्तर पर मनमाने तरीके से उत्पादों या सेवाओं पर कर लगाने की परंपरा खत्म होगी।

 

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