एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार, पाबंदी में ढील देने के बाद से भैंस की चर्बी के निर्यात में हर महीने तेजी देखी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, 32 वर्ष पहले वनस्पति (खाद्य तेल) में भैंस की चर्बी मिले होने के विवाद के बाद से पहली बार केंद्र सरकार ने भैंस की चर्बी के व्यापार पर कोई औपचारिक निर्णय लिया है। इस बीच महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों ने अपने यहां बूचड़खानों और गाय, बैल और सांड के व्यापार पर पाबंदी लगाने वाला कानून बना दिया।
आपको बता दें कि सरकार ने 31 दिसंबर 2014 को भैंस की चर्बी के निर्यात को लेकर फैसला किया था। वर्ष 2015 में जनवरी से मार्च के बीच 29 लाख 85 हजार रुपए की भैंस की चर्बी निर्यात की गई। इसी वर्ष अप्रैल से अगस्त के बीच 10 करोड़ 95 लाख रुपए की भैंस की चर्बी का निर्यात हुआ, जो पहले से 36 गुना अधिक है।