इन्हें मिलाकर राज्य में सूखाग्रस्त तहसीलों की संख्या बढ़कर 117 हो जाएगी। प्रदेश की 150 में से 110 तहसीलों को पहले ही सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है और इन तहसीलों में राजस्व वसूली भी स्थगित कर दी गई है। केंद्र सरकार की टीम ने पिछले दिनों छत्तीसगढ़ की सूखाग्रस्त तहसीलों का दौरा कर सूखे की स्थिति का आकलन किया था। राज्य सरकार ने अल्पवर्षा व सूखे की स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार से करीब छह हजार करोड़ रुपए के विशेष पैकेज की मांग की है।
राज्य सरकार ने सूखे को राजस्व परिपत्र 6-4 के तहत प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में रखा है। इसके तहत सूखा प्रभावित किसानों को फसल से हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाएगा। बताया गया है कि राज्य सरकार प्रदेश की सभी तहसीलों में सूखे की स्थिति को देखते हुए ऋण वसूली भी स्थगित करने पर विचार कर रही है। मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर निर्णय लिया जा सकता है। प्रदेश में किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने की लगातार खबरें आ रही हैं। ऋण वसूली स्थगित करने के लिए विधायकों व किसान नेताओं का भी दबाव है।
हालांकि राज्य सरकार ने सूखा प्रभावित तहसीलों में किसानों को राहत देने की पहल की है, लेकिन सबसे बड़ी मांग ऋण वसूली स्थगित करने और ऋण माफी की है। गरियाबंद जिले के मैनपुर इलाके के किसानों ने सोसाइटियों में समर्थन मूल्य पर धान बेचने से मना कर दिया है। प्रदेश के करीब नौ लाख किसानों को 2391 करोड़ रुपए का कृषि ऋण दिया गया है। यह अल्पकालीन ऋण बिना ब्याज के दिया जाता है, लेकिन 31 मार्च के बाद इस पर 13 फीसदी ब्याज लगता है। राज्य सरकार किसानों को 31 मार्च के बाद भी ऋण का भुगतान नहीं करने पर ब्याजमुक्त रखे जाने पर विचार कर रही है।
धान खरीदी की होगी समीक्षा
कैबिनेट की बैठक में सूखे की स्थिति के अलावा धान खरीदी की व्यवस्था की समीक्षा किए जाने की संभावना है। प्रदेश में समर्थन मूल्य पर 16 नवंबर से धान की खरीदी शुरू हो गई है। कैबिनेट में किसानों को राहत दिए जाने पर भी कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं। बैठक में विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र की तैयारियों को भी चर्चा की जा सकती है। सरकार चालू वित्तीय वर्ष के दूसरा अनुपूरक बजट व कुछ संशोधन विधेयक भी सदन में प्रस्तुत करेगी, जिस पर कैबिनेट में विचार-विमर्श किए जाने की संभावना है।