मध्यप्रदेश- सबको घर देने की न मियाद तय, न ही मिलेगा किराया

हरीश दिवेकर, भोपाल। प्रदेश में जिनके पास अपने खुद के घर नहीं है, उन्हें घर देने के लिए राज्य सरकार आवास गारंटी योजना लाने का दावा कर रही है। लेकिन हकीकत ये है कि योजना प्रस्ताव स्तर पर ही अपने मूल उद्देश्य से भटक रही है। हाल ही में मुख्य सचिव अंटोनी डिसा की अध्यक्षता में हुई वरिष्ठ सचिव समिति ने इस कानून में गारंटी देने वाले कुछ मुख्य प्रावधान हटा दिए हैं। बैठक में विधि विभाग के प्रमुख सचिव वीरेन्दर कुमार ने प्रस्ताव पर आपत्ति उठाते हुए कहा कि इससे सरकार पर हजारों कानूनी प्रकरण बनेंगे।

उन्होंने सुझाव दिया कि प्रस्ताव से वर्ष 2022 तक आवेदक को मकान न मिलने पर बाजार दर से न्यूनतम किराया देने के प्रावधान को हटाएं। इस पर वरिष्ठ सचिव समिति सहमत है। मुख्य सचिव ने इस योजना से निश्चित फंड का प्रावधान भी हटाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि दूसरी योजनाओं का फंड इसमें उपयोग करने से विसंगति बनेगी। मुख्य सचिव ने कहा कि नगरीय क्षेत्र और पंचायत क्षेत्र के कॉलोनाइजर एक्ट अलग होने से आश्रय शुल्क का पैसा भी अलग-अलग जमा होता है।

इसलिए प्रस्तावित आवास योजना का कोई निश्चित फंड नहीं बनाया जा सकता। इन दो महत्वपूर्ण प्रावधानों के हटने से आवास गारंटी कानून के औचित्य पर ही सवाल खड़ा हो गया है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सार्वजनिक मंच से कई कार्यक्रमों में आवास देने वाली गारंटी योजना बनाने की बात कह चुके हैं। वरिष्ठ सचिव समिति ने योजना के जिस प्रस्ताव को मंजूरी दी है वह मुख्यमंत्री की मंशा के बिल्कुल उलट होता दिख रहा है। ऐसा लग रहा है कि प्रदेश में पहले से चल रही अन्य आवास योजनाओं के समान ही यह योजना बनकर रह जाएगी।

यह था योजना का मूल प्रस्ताव

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अन्य विभागों से चर्चा कर जो प्रस्ताव तैयार किया था, उसमें कहा गया था कि सरकार 2022 तक प्रदेश में आवासहीन को खुद का घर देने की गारंटी देगी। यदि इस अवधि तक आवेदक को घर नहीं मिलता है तो उसे घर मिलने तक बाजार के दर न्यूनतम किराया दिया जाएगा। पैसों की कमी न आए इसके लिए निश्चित फंड का प्रावधान था।

इसमें नगरीय क्षेत्र और पंचायत क्षेत्र में जमा होने वाला आश्रय शुल्क, संनिर्माण कर्मकार मंडल की राशि, सीएम आवास योजना का फंड, इंदिरा आवास का राज्यांश, शहरी गरीबी उन्मूलन आवास कार्यक्रम के पैसों को मिलाकर एक फंड बनाना प्रस्तावित था, जिससे इन आवासों के निर्माण और प्लाट के लिए जमीन खरीदने पैसों का संकट न बने।

यह है प्रस्तावित योजना

– आवास गारंटी योजना का मुख्य लक्ष्य वर्ष 2022 तक सबको आवास देना है।

– इसमें शहरी क्षेत्र में 450 वर्ग फीट का फ्लेट और ग्रामीण क्षेत्र में 600 वर्ग फीट का प्लॉट देना है।

– सरकार फ्लेट और प्लॉट रियायती दर पर देगी, इसके लिए बैंक से भी कर्ज दिलाएगी।

– शहरी क्षेत्र में नगर निगम और ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत विभाग की कमेटी आवास का आवेदन लेगी।

आवास के लिए हितग्राही की पात्रता से लेकर आवंटन की कार्रवाई कलेक्टर की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी।

– आवास के लिए आवेदन देने वालों को एक यूनिक नंबर दिया जाएगा।

– जैसे-जैसे फ्लेट बनते जाएंगे या फिर प्लॉट तैयार होंगे वैसे-वैसे आवंटन किया जाएगा।

– किसी भी आवेदक को कलेक्टर, नगर निगम या फिर पंचायत कार्यालय के चक्कर काटने की जरूरत नहीं होगी।

– यूनिक नंबर से ऑनलाइन अपने फ्लेट या प्लॉट की स्थिति देख सकेगा।

कैबिनेट में तय होगी गारंटी

मुख्य सचिव की वरिष्ठ सचिव समिति ने प्रस्तावों में कुछ संशोधन किए हैं। अभी नगरीय विकास एवं पर्यावरण मंत्री और पंचायत मंत्री के साथ प्रस्तावित योजना को लेकर एक बैठक होना है। रही बात योजना में गारंटी की तो इस पर कैबिनेट ही तय करेगी कि आवेदक को कितनी अवधि में फ्लेट या प्लॉट दिया जाएगा। इससे ज्यादा कुछ नहीं बता सकती। अरूणा शर्मा, अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग

 

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