खनिज साधन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम 2015 के अंतर्गत विभिन्न 31 गौण खनिजों को शामिल किया गया है। इन खनिजों की खनिज रियायत की स्वीकृति के संबंध में पूरे अधिकार राज्य शासन को प्राप्त है। एक प्रकरण में राज्य शासन ने आवेदक अरविंद सोनी के पक्ष में जांजगीर-चांपा जिले की तहसील जैजैपुर स्थित अकलसरा गांव में दस एकड़ क्षेत्र पर एक वर्ष के लिए पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति स्वीकृति की थी। आवेदक ने पूर्वेक्षण कार्य के बाद पूर्वेक्षण प्रतिवेदन के साथ खनिपट्टा आवेदन प्रस्तुत किया, जिस पर शासन ने आवेदक के पक्ष में 30 साल के लिए खनिज डोलोमाइट की खनिपट्टा स्वीकृति का सैद्धांतिक निर्णय लिया और आवेदक को आईबीएम से अनुमोदित माइनिंग प्लान प्रस्तुत करने कहा गया। इस बीच केंद्रीय खान मंत्रालय ने 10 फरवरी, 2015 को अधिसूचना जारी कर डोलोमाइट को गौण खनिज घोषित किया। आवेदक ने खनिज डोलोमाइट के उत्खनन पट्टा के लिए संशोधित आवेदन पत्र प्रस्तुत किया। इस पर राज्य शासन ने आवेदक के पक्ष में 10 वर्ष के लिए डोलोमाइट का उत्खनन पट्टा स्वीकृति के लिए निर्णय लेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति प्रस्तुत करने कहा।
राज्य स्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने यह निर्णय लिया कि भारतीय खान ब्यूरो नागपुर से अनुमोदित माइनिंग प्लान को छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम के अनुसार सक्षम प्राधिकारी द्वारा सहमति कराकर प्रस्तुत करने के लिए आवेदक को निर्देशित किया जाए। इस पर आवेदक ने आईबीएम नागपुर से अनुमोदित माइनिंग प्लान को छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम के तहत सहमति प्रदान करने का आग्रह किया। खनिज विभाग ने स्पष्ट किया है कि छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम में गौण खनिजों के उत्खनन प्लान का अनुमोदन संचालक द्वारा प्राधिकृत अधिकारी से किया जाना प्रावधानित है। इसमें भारतीय खान ब्यूरो से अनुमोदित माइनिंग प्लान को सक्षम अधिकारी द्वारा पुनः सहमति दिए जाने का प्रावधान नहीं है।
विशेष मामलों में नियमों का शिथिलीकरण
किसी मामले में राज्य शासन लोकहित में नियमों से भिन्न निबंधनों तथा शर्तों पर उत्खनन पट्टा प्रदान कर सकता है। भारतीय खान ब्यूरो से अनुमोदित माइनिंग प्लान को पुनः राज्य स्तरीय अधिकारियों द्वारा पुनः सहमति की अनिवार्यता उचित प्रतीत नहीं होता है, इसलिए छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम के अंतर्गत भारतीय खान ब्यूरो से अनुमोदित माइनिंग प्लान को मान्यता दी गई है।