सर्वे: UP के बाद राजस्थान में दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार

नई दिल्ली।
दलितों के खिलाफ होने वाले अपराधों में महिलाओं के साथ दुष्कर्म और यौन अपराधों के मामले सबसे ज्यादा रहते हैं और इस मामले में जनसंख्या अनुपात के लिहाज से गोवा की स्थिति सबसे खराब है जबकि अपराधों की संख्या के हिसाब से उत्तर प्रदेश पहले नबंर पर है। अपराध रिकार्ड ब्यूरो की ओर से जारी रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार गोवा में प्रति एक लाख अनुसूचित जाति के लोगों में से 67 प्रतिशत अपराध का शिकार बनते हैं जिनमें 66 फीसदी हिन्दू, 25 फीसदी इसाई और 8 फीसदी मुसलमान होते हैं। इस क्रम में गोवा के बाद राजस्थान और आंध्र प्रदेश का स्थान है जहां दलितों के खिलाफ अपराध का प्रतिशत क्रमश: 66 और 49 फीसदी है।

 

यूपी के बाद राजस्थान में हुए दलितों के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध
देश के सबसे अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ गत वर्ष सबसे ज्यादा 8075 अपराध हुए। इसके बाद 8028 अपराध की वारदात के साथ राजस्थान दूसरे स्थान पर, 7893 वारदात के साथ बिहार चौथे स्थान पर, 4151 वारदात के साथ मध्यप्रदेश पांचवे स्थान पर और 4144 वारदात के साथ आंध्र प्रदेश छठे स्थान पर रहा। इन आंकडों के अनुसार शीर्ष पांच राज्यों में हुए अपराधों की संख्या देश में हुए कुल अपराधों का 69 फीसदी रही।
पिछले साल दर्ज हुए थे 47064 मामले
वर्ष 2014 के दौरान अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ देशभर में अपराध के 47064 मामले हुए जो कि इससे पहले के पांच वर्षों की तुलना में 44 फीसदी ज्यादा थे। वर्ष 2010 में ऐसे अपराधों की संख्या 32712 थी जो कि वर्ष 2014 में बढकर 47064 पर पहुंच गई। इन अपराधों में महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म और अन्य यौन अपराधों की संख्या 8913 रही। कुल मामलों में से केवल 40,300 मामलों की रिपोर्ट ही पुलिस में दर्ज कराई गई।
अभी हो रहे अत्याचार
दलितों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए तमाम कानूनों और मीडिया द्वारा ऐसे मामलों में सक्रियता दिखाने के बावजूद दलितों के खिलाफ अपराध की घटनाएं अभी भी सुर्खियों में हैं। जाति व्यवस्था के खिलाफ लिखने वाली एक युवा दलित लेखिका हाल में कर्नाटक में कुछ कट्टरपंथियों के हमले में बाल बाल बची। हरियाणा के सुनपेड गांव में दो बच्चों को जिंदा जलाए जाने की घटना के पीछे भी ऊंची जाति के लोगों का हाथ बताया जा रहा है।

 

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