हाजीपुर के निकट सुल्तानपुर गांव का वो इलाक़ा आज सुनसान है, जहाँ रविवार को प्रधानमंत्री मोदी की रैली की ख़ूब चर्चा थी। रैली के लिए जो तैयारियाँ की गई थीं, बांस और बल्ली लगाए गए थे, अब हटाए जा रहे हैं। छोटे-छोटे ट्रकों से सामान ढोया जा रहा है, कुछ दिनों पहले जो मज़दूर मंच बनाने और घेराबंदी करने में लगे थे, अब वही मज़दूर उसे हटाने में लगे हैं।
लेकिन प्रधानमंत्री की रैली के लिए जिन किसानों की धान की खेती काट दी गई, उनमें से कुछ नाराज़ हैं, कुछ लोगों को मुआवज़े की कम राशि पर ऐतराज़ है, तो कुछ लोग चुनिंदा लोगों के विरोध को राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं।
लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो राजनीतिक तौर पर नरेंद्र मोदी का विरोध कर रहे हैं, लेकिन वे मुआवज़े की राशि से संतुष्ट हैं। रैली वाले क्षेत्र में बिंदेश्वर राय के पास दो एकड़ से ज़्यादा ज़मीन है, चार-पांच कट्ठा छोड़कर उनकी बाक़ी ज़मीन से धान की फ़सल काट दी गई।
वे कहते हैं, "हम रैली में नहीं गए थे। मेरी नाराज़गी इसलिए हैं क्योंकि लोगों को अलग-अलग मुआवज़े की राशि मिली है। कुछ लोगों को पांच हज़ार का मुआवज़ा मिला, मुझे सिर्फ़ 1900 मिला है। मेरा पंप सेट टूट गया और शीशम के एक पेड़ को भी नुक़सान पहुंचा है।"