मंहगाई में गिरावट के बावजूद मिडिल क्लास कर रहा मुश्किलों का सामना

नई दिल्ली।
मंहगाई में गिरावट आने के बावजूद दैनिक उपभोग की कई वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतें बढऩे से देश का मध्यम वर्ग मुश्किलों का सामना कर रहा है। 
वाणिज्य एवं उद्योग संगठन एसोचैम ने कहा कि दलहनों, तैयार खाद्य पदार्थ, स्नैक्स आदि की कीमतें बढऩे के साथ ही वस्त्र, घर का किराया, शिक्षा और स्वास्थ्य के महंगा होने से मध्यम वर्ग की मुश्किलें बढ़ गई है।

उसने कहा कि खुदरा स्तर पर दालों का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक करीब 30 प्रतिशत है और कुछ दालों की कीमतें 200 रुपए प्रति किलो तक पहुंचने वाली है। इसके अलावा करी तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले मसालों की कीमतें भी 9.2 प्रतिशत बढ़ी हैं।

उसने कहा कि तेल की कीमतों में गिरावट एवं वेतन में मामूली बढ़ोतरी के बीच शिक्षा एवं स्वास्थ्य के खर्च में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। यह दोनों मध्यम वर्ग के लिए अहम हैं और इनकी खुदरा मंहगाई सितंबर की कुल खुदरा मंहगाई 4.41 प्रतिशत से काफी अधिक रही हैं। पिछले महीने शिक्षा की खुदरा मंहगाई करीब छह प्रतिशत तथा स्वास्थ्य की 5.4 प्रतिशत रही।

संगठन ने कहा कि शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी संस्थानों की कमी के कारण मध्यम वर्ग को निजी स्कूलों, कॉलेजों एवं अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है जिनकी फीस काफी अधिक हो गई हैं। इन सेवाओं के खर्च की वार्षिक वृद्धि बहुत ज्यादा नहीं रही है लेकिन इनके आधार मूल्य इतने अधिक हैं कि शहरों में रहने वाले अधिकांश लोग इसे वहन करने में सक्षम नहीं हो पाते। दिल्ली के कुछ अस्पताल एक दिन का एक लाख रुपये तक फीस लेते हैं। उद्योग संगठन ने कहा कि स्वास्थ्य एवं शिक्षा के ऊपर राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा बजट में बढ़ोतरी की जानी चाहिए। अभी हाल ही में डेंगू एवं स्वाइन फ्लू के फैलने के समय पता चला कि लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं मुहैया कराने में सरकार का व्यय किस तरह से अपर्याप्त है।

एसोचैम ने कहा कि मध्यम वर्ग के दैनिक इस्तेमाल की कुछ अन्य चीजें जैसे मांस, मछली, दूध एवं दूग्ध उत्पादों की कीमतों में भी पांच से 5.5 प्रतिशत तक की तेजी आई है। पिछले कुछ समय में ब्याज दरों में गिरावट आई है लेकिन ईएमआई ज्यादा कम नहीं हुआ। जहां रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक ऋण एवं मौद्रिक नीति समीक्षा में अल्पकालिक ऋण दरों में 0.50 फीसदी कटौती की वहीं बैंकों की ब्याज दरों में औसत कटौती 30 आधार अंकों से अधिक नहीं रही।

आरबीआई और सरकार की फटकार के बावजूद बैंकों द्वारा ग्राहकों को इस कटौती का लाभ नहीं दिया जा रहा है। पान, तंबाकू एवं अन्य नशीले पदार्थ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने के बावजूद काफी संख्या में लोगों द्वारा उपभोग किए जाते हैं और सितंबर महीने में इनकी कीमतों में करीब 10 प्रतिशत की वार्षिक बढ़ोतरी दर्ज की गई।

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