मध्‍यप्रदेश से छिन सकता है सोयाबीन राज्य का दर्जा

अतुल शुक्ला, जबलपुर। देश को 60 फीसदी सोयाबीन उत्पादन देने वाले मध्यप्रदेश का सोयाबीन राज्य का दर्जा इस बार छिन सकता है। कृषि कर्मण अवार्ड मिलने के बाद भी सोयाबीन उत्पादन पिछले तीन सालों में तेजी से गिरा है। सोपा (सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के मुताबिक उत्पादन में 4.60 लाख मीट्रिक टन की गिरावट आई है। रकबा 11.40 फीसदी कम हुआ है।

इस बार तो कई क्षेत्रों में शून्य उत्पादन हुआ है। किसानों को तीन साल में हुए घाटे की वजह से वे इस फसल को छोड़ रहे हैं।

ऐसे गिरा उत्पादन

पिछले तीन सालों में सोयाबीन उत्पादन पर सोपा की रिपोर्टः वर्ष रकबा उत्पादन, मीट्रिक टन में – 2012 58.128 लाख हेक्टेयर 64.858 लाख – 2013 62.605 लाख हेक्टेयर 43.262 लाख – 2014 55.462 लाख हेक्टेयर 60.249 लाख – 2015 के आंकड़े अभी आने हैं, लेकिन स्थिति पिछले सालों की तुलना में इस बार ज्यादा खराब है।

इसलिए आई दिक्कत

जनेकृविवि के डायरेक्टर फार्म और प्लांट ब्रिडिंग के हेड डॉ.डीके मिश्रा बताते हैं कि मौसम तेजी से बदला आया है। तापमान बढ़ रहा है और बारिश का ग्राफ गड़बड़ा गया है। जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि के कुलपति प्रो.वीएस तोमर के मुताबिक इसकी वजह से फसलों में कीड़े लगे और पानी न होने से फसल सूख गई। इनमें पीले मोजर की बीमार भी बढ़ी है। इस साल तो नरसिंहपुर, होशंगाबाद, बुंदेलखंड तरफ उत्पादन जीरो रहा।

इन फसलों की तरफ झुके किसान

किसान अब सोयाबीन छोड़ मक्का,ज्वार और अरहर की फसल बो रहे हैं। ये फसल कम से कम 40 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन दे रही हैं। सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने यदि प्रयास सफल नहीं रहे तो अधिकांश किसान इन फसलों की तरफ आ जाएंगे। सरकार और विवि में बैठक सोयाबीन के घट रहे उत्पादन से कृषि वैज्ञानिक से लेकर कृषि विवि परेशान है।

इसका असर पर प्रदेश सरकार पर भी हो रहा है। इसको लेकर प्रदेश के दोनों कृषि विवि के डायरेक्टर रिसर्च और कृषि विभाग के आला अधिकारियों के बीच बैठक हुई।

इसमें यह बातें निकलकर सामने आई

1. किसानों में सोयाबीन की फसल के प्रति जागरुक करने की जिम्मेदारी कृषि विवि को दी है।2. नई वैरायटी, जो मौसम और कम पानी में बेहतर उत्पादन दें वह तैयार करने को कहा है।3. इसके लिए वैज्ञानिकों ने तैयारी शुरू कर दी। सोयाबीन की दो नई वैरायटी रिलीज हो गई।4. हालात को सुधारने के लिए वैज्ञानिक और किसान के बीच कम्युनिकेशन बढ़ाने कहा है।5. कृषि विज्ञान केन्द्र की मदद से मौसम के मुताबिक फसल का चक्र सुधारा जाएगा

इनका बड़ा प्रभाव तापमान

सोयाबीन में 30 डिग्री का तापमान जरूरी होता है, जो औसतन 35 से 38 के बीच रहा।पानी- रुक-रुक कर पानी मिलना चाहिए, जो नहीं मिली, एक साथ बारिश हुई, तो कहीं नहीं हुई।बीमारी- पीला मोजर से पत्ते पीले हुए ,उकठा रोग से सफेद रंग के कीड़े पैदा हुए, एरियल ब्लाइड से पत्तियां और फल मर गए।

ये वैरायटी रिलीज की

इस साल प्रदेश की वैरायटी रिलीज कमेटी ने सोयाबीन की दोवैरायटी रिलीज की।1.जेएस 2029-इसमें बीमारी नहीं लगती, अधिक तापमान भी सह सकती है।2. जेएस 2034- उत्पादन ज्यादा, तापमान सहने की क्षमता बेहतर

नई वैरायटी

देश में सोयाबीन का 90 फीसदी बीज मप्र देता है। हमने मौसम और कम पानी में होने वाली वैरायटी तैयार की है। अभी और कर रहे हैं। सरकार और आईसीएआर के साथ मिलकर सोयाबीन उत्पादन में आ रही दिक्कतों को दूर किया जा रहा है। किसान को दूसरा आप्शन मिला तो वह इससे दूर चले जाएंगे।

– प्रो.एसके राव, डायरेक्टर रिसर्च, सीड एक्सपर्ट, जनेकृविवि

सोयाबीन उत्पादन में राज्यों का स्थान

1. मध्यप्रदेश 2. महाराष्ट्र 3. राजस्थान 4. आंध्रप्रदेश 5. कर्नाटक 6. छत्तीसगढ़ 7. गुजरात

 

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