अरहर समेत अन्य दालों की आसमान छूती कीमतों में सरकार के हालिया कदमों से कुछ गिरावट का रुख बना है, किंतु बाजार सूत्रों का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियों में बहुत राहत की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए।
देश और वैश्विक स्तर पर दलहन उत्पादन में कमी के मद्देनजर इस वर्ष जून से दालों के भाव ने छलांग लगानी शुरू कर दी थी और पिछले करीब पांच माह के दौरान स्थिति ऐसी हो गई कि आम आदमी की थाली से यह लगभग गायब हो गई।
दालों के आसमान छूते भावों से चिंतित सरकार ने पिछले दिनों कुछ कदम उठाए, लेकिन बाजार सूत्रों का कहना है कि आने वाले महीनों में यह बहुत प्रभावी होंगे ऐसी संभावना बहुत कम नजर आ रही है। वर्ष 2013-14 में देश में दलहन उत्पादन एक करोड़ 97 लाख 80 हजार टन हुआ था, जिसके 2014-15 में घटकर एक करोड़ 84 लाख 30 हजार टन रह जाने का अनुमान लगाया गया था।
वर्ष 2014-15 के चौथे अग्रिम अनुमान में दलहन उत्पादन एक करोड़ 72 लाख टन रह जाने की उम्मीद जताई गई है। इसमें अरहर का उत्पादन 31 लाख 70 हजार टन से गिरकर 27 लाख 80 हजार टन रह जाने की संभावना व्यक्त की गई है। देश में दालों की मांग पूरी करने के लिए बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है।
वर्ष 2014-15 में कुल 45 लाख 84 हजार 84 टन दाल-दलहन का आयात किया गया था। इसमें तूर (अरहर) की मात्रा पांच लाख 75 हजार 22 टन थी। इस वर्ष अप्रैल-जून तिमाही में यह एक लाख 26 हजार 42 टन रहा। तूर का आयात मुख्यत: रंगून से किया जाता है। पिछले साल तूर के कुल आयात में रंगून से माल का हिस्सा 51.76 प्रतिशत था। तंजानिया और मोजांबिक से क्रमश: 20.68 तथा 15.28 प्रतिशत तूर आयात हुई थी। इसके अलावा मलावी और सूडान से तूर का आयात हुआ था।
बाजार सूत्रों का कहना है कि सरकार के छापों और स्टॉक सीमा लागू करने के बाद भावों में नरमी जरूर आई है, लेकिन कुल मिलाकर जो स्टॉक की स्थिति है उसे देखते हुए बहुत अधिक उम्मीद करना ठीक नहीं होगा। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, शनिवार तक 13 राज्यों में छह हजार से अधिक जगहों पर छापे मारकर 74 हजार 846 टन दाल-दलहन जब्त किया गया है।
इसकी वजह से थोक बाजारों में अरहर की दाल जो 20 हजार रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर निकल गई थी उसके दाम गिरकर 15500 से 17 हजार रुपए प्रति क्विंटल के बीच रह गए हैं। लेकिन, खुले बाजार में अभी भी अरहर की दाल 200 रुपए से 215 प्रति किलो के बीच बिक रही है। सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए राजधानी में "सफल" और अन्य केंद्रों के माध्यम से 120 प्रति किलो की दर से अरहर की दाल उपलब्ध कराई है।