राजस्थान सरकार ने इस रिपोर्ट के बाद ही 653 खानों में से 601 खानों को आवंटन निरस्त कर दिया था। राजस्थान में इन 653 खानों के आवंटन की प्रक्रिया वैसे तो कांग्रेस सरकार के समय ही शुरू हो गई थी और आवेदन भी मांग लिए गए थे। इन खानों के लिए करीब 19 हजार आवेदन पत्र आए थे, लेकिन खानों के आवंटन का मुख्य काम नवम्बर 2014 से 12 जनवरी 2015 के बीच किया गया था। इस समय तक प्रदेश में भाजपा की सरकार आ चुकी थी।
आवंटन के तुरंत बाद ही इस पर सवाल खडे होने शुरू हो गए थे। इन खदानों के आवंटन को लेकर कांग्रेस ने 45 हजार करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप लगाया है। भानुप्रकाश एटरू की अध्यक्षता में एक रिव्यू कमेटी का गठन किया था।