फेसबुक पर ‘दि एनजेएसी जजमेंट-ऐन ऑल्टरनेटिव व्यू’ शीर्षक से दिए गए इस पोस्ट को उन्होंने अपना निजी विचार बताया। वित्त मंत्री ने लिखा कि भारतीय लोकतंत्र में ऐसे लोगों की निरंकुशता नहीं चल सकती है, जो चुनकर नहीं आए हैं। अगर चुनकर आए लोगों को कमजोर किया गया तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।
इसमें जेटली ने लिखा है कि नेताओं पर प्रहार तमाम टीवी चैनलों पर रात 9 बजे प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों की तरह है। इस फैसले में भारत के प्रमुख संवैधानिक ढांचे को दरकिनार किया गया है।
उन्होंने लिखा, इसमें कोई दो राय नहीं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान का बुनियादी ढांचा है। इसका संरक्षण भी जरूरी है। मगर इस फैसले में संविधान के बुनियादी ढांचे के अन्य अभिन्न पहलुओं को नजरअंदाज किया गया है। इस बुनियादी ढांचे का सबसे अहम पहलू है संसदीय लोकतंत्र। उन्होंने आगे लिखा कि न्यायपालिका को मजबूत बनाने के लिए संसदीय संप्रभुता को कमजोर करने की जरूरत नहीं है।