स्वर्णरेखा नदी की 40 एकड़ जमीन गायब

हटिया. स्वर्णरेखा नदी और नदी तट की 40 एकड़ जमीन गायब है़ सरकारी जमीन पर लोगों ने अतिक्रमण कर रिहायशी बस्ती बसा ली है़ हटिया के पास स्वर्णरेखा नदी महज पांच फीट बच गयी है़ सरकारी नक्शे के मुताबिक स्वर्णरेखा नदी की यहां चौड़ाई 40 फीट थी़.

नदी तट से 200 फीट तक ग्रीन लैंड जमीन है़ यहां निर्माण कार्य नहीं हो सकते है, लेकिन स्वर्णरेखा नदी और नदी तट पर बेतहाशा अतिक्रमण हुआ है़ स्वर्णरेखा नदी में अतिक्रमण से संबंधित खबर प्रभात खबर में छपने के बाद सरकार की जांच में इसका खुलासा हुआ़ नामकुम सीओ कुमुदनी टुडू के आदेश पर आठ सदस्यीय जांच टीम गठित की गयी़ सीओ के आदेश के बाद कुमुदनी टुडू ने स्वर्णरेखा नदी की अतिक्रमित भूमि को चिह्नित करने का निर्देश दिया.

बुधवार को नामकुम के अंचल निरीक्षक अनिल कुमार समेत अन्य कर्मचारी हटिया स्वर्णरेखा पुल से ओबरिया पुल तक स्वर्णरेखा नदी के किनारे 40 एकड़ गैर मजरुआ जमीन की खोज करने गये़ लेकिन अधिकारियों को जमीन नहीं मिली. अधिकारियों ने जमीन को गायब पाया. अधिकारियों ने बताया कि इन दोनों पुल के बीच वर्तमान में कई बहुमंजिला इमारतें बन गयी है़ अब जांच के बाद ही खुलासा होगा कि आखिर 40 एकड़ जमीन कहां गयी और किन-किन लोगों ने अतिक्रमण किया है़

 

अतिक्रमण करनेवालों की सूची होगी तैयार
नापी करने पहुंचे अंचल कार्यालय के लोगों ने बताया कि अधिकारियों को रिर्पाट सौंपी जाएगी. अतिक्रमणकारियों की सूची तैयार करने को कहा गया है़ इस निर्देश से संबंधित प्रतिलिपि अपर समाहर्ता, रांची, अनुमंडल पदाधिकारी, सदर रांची, उप समाहर्ता भूमि सुधार, सदर रांची, अंचल निरीक्षक, नामकुम को भेज दी गयी है. 

 

 

पांच अक्तूबर को स्वर्णरेखा की दुर्दशा पर छपी थी खबर
प्रभात खबर ने पांच अक्तूबर को झारखंड की लाइफ लाइन कही जानेवाली स्वर्णरेखा नदी की दुर्दशा पर खबर छापी थी़ खबर में बताया गया था कि किस तरह स्वर्णरेखा विलुप्त हो रही है़ नदी का अतिक्रमण कर इसे नाले की तरह संकरा बना दिया गया है़ खबर में स्वर्णरेखा के प्रदूषण के बारे में भी बताया गया था़ स्वर्णरेखा नदी के पानी में बदबू आ रहा है़ स्वर्णरेखा नदी को बचाने के लिए प्रभात खबर की मुहिम में अब प्रशासन भी जुड़ गया है़ प्रशासनिक स्तर पर संवेदनशीलता दिखायी गयी है़

 

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