आधार कार्ड पर सरकार को SC का बड़ा झटका

केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम और बैंकिंग व टेलिकॉम सेवाओं को आधार से जोड़ने की महत्वकांक्षी योजनाओं को बुधवार को धक्का लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने उस आदेश में फेरबदल करने से इनकार किया है जिसमें आधार को एलपीजी सब्सिडी और जन वितरण प्रणाली तक ही सीमित रखा था।

न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अपने 11 अगस्त के आदेश में बदलाव करने से इनकार करते हुए कहा कि जब तक आधार के लिए लोगों की निजी जानकारी जुटाने संबंधी निजता के अधिकार के मसले का निपटारा संवैधानिक पीठ द्वारा नहीं कर दिया जाता, तब तक उसका यह आदेश प्रभावी रहेगा।

पीठ ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, यूआईडीआईए, सेबी सहित कई अन्य अथॉरिटी द्वारा दाखिल याचिकाओं को संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया है। इन अथॉरिटी ने 11 अगस्त के आदेश में फेरबदल करने की गुहार की थी। इस सभी याचिकाओं का निपटारा उस संवैधानिक पीठ के द्वारा किया जाएगा जिसे यह तय करना है कि निजता का अधिकार मूल अधिकार है या नहीं। हालांकि अब तक संवैधानिक पीठ का गठन नहीं हो सका है।

मालूम हो कि मंगलवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि भूखे गरीब लोगों को भोजन और आमदनी का अगर कोई जरिया मिल रहा है तो उन्हें निजता के अधिकार से मतलब नहीं है। चूंकि सरकारी सुविधाओं को लाभ उठाने के लिए ही लोग खुद आधार कार्ड बनवा रहे हैं ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को बीच में नहीं आना चाहिए।

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि आधार कार्ड बनाना लोगों की स्वेच्छा पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि क्या अदालत 100 करोड़ लोगों के लिए बोल सकती है। अगर किसी व्यक्ति को आधार के इस्तेमाल में परेशानी दिखती है तो वह इसका इस्तेमाल न करें।

दिहाड़ी पर काम करने वाला व्यक्ति या जिसे खाने के लिए भोजन नहीं है, आधार कार्ड ऐसे व्यक्ति के लिए जरूरत है। उन्होंने अदालत से कहा था कि उसे देश के करोड़ों लोगों के बारे में सोचना चाहिए न कि उन चंद लोगों की जो निजता के अधिकार की बात कर रहे हैं।

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