स्किल डवलपमेंट पर जोर देने वाली सरकार नहीं दे रही हाईली स्किल्ड को पूरा वेतन

यपुर। एक ओर राज्य सरकार लगातार स्किल डवलपमेंट पर जोर दे रही है, वहीं मौजूद हाईली स्किल्ड को कम वेतन देकर उनका शोषण कर रही है। ऐसा ही प्रकरण यहां सरकारी अस्पतालों के लैब टेक्नीशियंस के मामले में सामने आया है। वेतन विसंगतियों की वजह से चार हजार लैब टेक्नीशियन कम स्किल्ड कार्मिकों से भी कम वेतन लेने को मजबूर हैं। यह वेतन सामान्य स्किल्ड से करीब 10 हजार रुपए कम है।

राज्य के मेडिकल एंड हैल्थ डिपार्टमेंट की रीड की हड्डी माने जाने वाले इन लैब टेक्नीशियंस के लिए मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और सभी स्तर के अफसर दलील तो दे रहे हैं कि इनके साथ धोखा हो रहा है, लेकिन उस विसंगति को दूर करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे।

यह है श्रम विभाग का नियम

श्रम विभाग के अनुसार अकुशल श्रमिकों के लिए प्रतिदिन 189 रुपए, अर्द्ध-कुशल के लिए 199 रुपए, कुशल के लिए 209 रुपए और उच्च कुशल यानी हाईली स्किल्ड के लिए 259 रुपए वेतन या पारिश्रमिक देने का नियम है, लेकिन स्थाई लैब टेक्नीशियन के मामले में स्थिति इसके उलट है।

यह है वास्तविक स्थिति

राज्य के सरकारी अस्पतालों में लैब टेक्नीशियंस का ग्रेड पे 2800 रुपए है। जबकि समान शैक्षणिक लेकिन कम तकनीकी योग्यता वाले नर्स ग्रेड-सैकंड की ग्रेड पे 4200 ग्रेड पे है। यही नहीं लैब टेक्नीशियंस का मैस भत्ता केवल 8 रुपए प्रतिदिन है, जबकि नर्स ग्रेड सैकंड को यह भत्ता 40 रुपए। पशुपालन विभाग के लैब टेक्नीशियंस का ग्रेड पे भी 3600 रुपए है।

शुरू के चार वेतनमानों में थे आगे

सरकार की ओर से नियमित रूप से नया वेतनमान लाया जाता है। वर्ष 1986 से पहले तक लैब टेक्नीशियंस की वेतन श्रंखला कुशल कार्मिकों से ज्यादा थी, लेकिन बाद में सरकार की अनदेखी और नई वेतन विसंगतियों के कारण उच्च कुशल कार्मिकों यानी अस्पतालों के लैब टेक्नीशियंस का वेतन कम हो गया।

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