‘इसमें कहा गया है,‘ भारत की वृद्धि दर इस साल तथा पिछले साल के 7.3 प्रतिशत से मजबूत होकर अगले साल 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. हाल ही के नीतिगत सुधारों, निवेश में सुधार तथा जिंस कीमतों में नरमी आदि का फायदा वृद्धि दर को होगा. ‘ वहीं दूसरी ओर चीन में वृद्धि दर इस साल घटकर 6.8 प्रतिशत तथा 2016 में 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
इसके साथ ही 2015 के लिए वैश्विक वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है जो कि 2014 की तुलना में 0.3 प्रतिशत कम है. इसके अनुसार विकसित अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि दर मजबूत रहने का अनुमान है.इसके अनुसार यूरो क्षेत्र में वृद्धि में सुधार व्यापक आधार वाली रहना अनुमानित है. लातिन अमेरिका व कैरेबियाई क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों के 2016 में फिर से जोर पकडने की उम्मीद है. रपट के अनुसार भारत में मुद्रास्फीति 2015 में और घटने की उम्मीद है जो कि वैश्विक तेल तथा कृषि जिंस कीमतों में गिरावट को परिलक्षित करेगी। इसके अनुसार भारत में फौरी या अल्पकालिक वृद्धि परिदृश्य अनुकूल बना हुआ है. चालू खाते के घाटे में कमी से बाहय जोखिम कम हुए हैं.
इसके अनुसार मुद्रास्फीति में अपेक्षा से अधिक तेज कमी से सांकेतिक नीति दर में मामूली कटौती पर विचार की गुंजाइश निकलती है. लेकिन मुद्रास्फीति में कमी के लिए वास्तविक नीतिगत दरों को कड़ा रखने की जरुरत है.इसमें आगाह किया गया है कि राजकोषीय सुदृढीकरण भी अनिवार्य हैं लेकिन ये और वृद्धि अनुकूल होने चाहिए.