मरीजों की इतनी अधिक संख्या थी कि उन्हें वार्ड के बाहर भी लेटाना पड़ा। भर्ती मरीजों में दो लोगों की मौत भी हो गई। इसका कारण यह है कि टिहरी झील का जल स्तर ऊपर उठने से झाडि़यों व अन्य स्थानों पर मच्छर पैदा हो गए हैं, जो झील से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में भारी परेशानी पैदा कर रहे हैं। झील के किनारे बहकर आई लकड़ी और अन्य गंदगी भी इसका कारण है। झील के किनारे रहने वाले लोग पानी से दुर्गंध आने की शिकायत भी कर रहे हैं।
यह दिक्कत आने वाले समय में और बढ़ सकती है, क्योंकि बांध में लगातार बढ़ रहे ‘गाद’ के कारण उसका जल स्तर ऊपर उठ रहा है। भागीरथी और भिलंगना नदियों की 20 सहायक जल धाराएं हैं, जहां से भूस्खलन जारी है। इसके कारण टनों मलबा बांध में जमा हो रहा है।
अनुमान है कि हर साल प्रति सौ वर्ग किलोमीटर झील में 16. 53 हेक्टेयर मीटर मलबा जमा हो रहा है। इससे डेल्टा बनने के प्रमाण सामने आ रहे हैं। इन सच्चाइयों का वैज्ञानिकों ने पहले भी अपनी दर्जनों रिपोर्टों में खुलासा किया था, पर तब उनको खारिज कर दिया गया।
टिहरी बांध में समाहित भागीरथी और भिलंगना नदियों के किनारों पर अनेक स्थानों पर भूस्खलन क्षेत्र है। इनमें से कंगसाली, डोबरा और स्यांसू के ऊपर की नदी धारा पर स्थित भूस्खलन क्षेत्र प्रमुख हैं। इसी तरह, रोलाकोट के आस-पास भूस्खलन क्षेत्र बन जाने की आशंका भी बताई गई थी। भिलंगना घाटी में नंदगांव, खांड, गडोलिया वगैरह कई स्थान चिन्हित किए गए थे।