भारत 2030 तक कार्बन इमिशन में 33-35 पर्सेंट तक करेगा कटौती

यूनाइटेड नेशन्स. भारत सरकार ने 2030 तक कार्बन उत्सर्जन की तीव्रता (कार्बन इमिशन इंटेन्सिटी) में 33 से 35 पर्सेंट तक कटौती करने का प्लान बनाया है। यह कमी 2005 को आधार मानते हुए की जाएगी। इसके साथ ही भारत ने 2030 तक नॉन फॉसिल फ्यूल सोर्सेस के जरिए 40 फीसदी बिजली उत्पादन का भी फैसला लिया है।
आईएनडीसी के 8 गोल
यूनाइटेड नेशन्स (यूएन) में भारत की ओर से 38 पेज का इन्टेन्डेड नेशनली डिटरमिंड कंट्रीब्यूशन (आईएनडीसी) पेश किया गया है। इनवायरनमेंट मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि भारत ने आईएनडीसी में आठ गोल तय किए हैं। इसमें भारत ने ग्रीन हाउस गैसों में से एक कार्बन इमिशन में 33-35 पर्सेंट कटौती करने की बात कही है। साथ ही, 2030 तक 40 पर्सेंट बिजली उत्पादन सोलर और विंड एनर्जी के जरिए करने का फैसला किया है।
बता दें कि ये फ्यूल परंपरागत फ्यूल सोर्सेस से तैयार किए गए फ्यूल की तुलना में कम पॉल्यूशन फैलाते हैं। इसके अलावा इतने जंगल विकसित किए जाएंगे, जो 2.5 से 3 टन कार्बन डाइऑक्साइड सोखेंगे। शुरुआती अनुमान के मुताबिक, भारत को इसके लिए करीब 14 लाख करोड़ रुपए खर्च करने पड़ेंगे।
गौरतलब है कि भारत पहले ही कह चुका है कि वह 2022 तक 1 लाख 75 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन सोलर और विंड एनर्जी के जरिए करेगा। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यूएन में अपनी स्पीच में कहा, "जैसा कि हम पेरिस में मिलने वाले हैं, दुनिया हमसे क्लाइमेट चेंज मुद्दे पर बेहतरी की उम्मीद कर रही है। यह हमारा कर्तव्य है कि हम इस दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाएं।"
गौरतलब है कि इस साल दिसंबर महीने में क्लाइमेट चेंज पर फ्रांस की राजधानी पेरिस में यूएन समिट हो रहा है। अमेरिका, चीन, यूरोपियन यूनियन जैसे देशों ने पहले ही अपने रोडमैप की घोषणा कर दी है। भारत ने भी 2030 तक की अपनी योजना का एलान कर दिया है।

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