व्यापारियों के मुताबिक कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु तथा महाराष्ट्र में खराब मानसून से खरीफ में दलहन की पैदावार बुरी तरह प्रभावित हुई है। जबकि पूरे देश को अरहर दाल खिलाने वाले मध्यप्रदेश में अरहर अथवा तूअर दाल की पैदावार घटने का अनुमान है। राजस्थान में दूूसरे राज्यों के मुकाबले पैदावार बेहतर हुई है, लेकिन स्टॉक लिमिट होने से अस्सी फीसदी नई फसल दूसरे राज्यों को भेजी जा रही हैं।
कीमत वृद्धि रोकने में सरकार नाकाम
थोक व्यापारी विष्णु नाटाणी का कहना है कि सरकार के स्तर पर दालों की महंगाई को रोकने के लिए उठाए कदम पर्याप्त नहीं है। दालों का आयात भी महंगा पड़ रहा है। राजस्थान में थोक व्यापारियों पर 2,000 क्विंटल की स्टॉक लिमिट से दालें महंगी हुई हैं।
माल की कमी नहीं, फिर भी बढ़ी कीमतें
खुदरा विक्रेता नितेश अग्रवाल का कहना है कि माल की कमी नहीं, लेकिन थोक में दलहन की लगातार बढ़ती कीमतों से खुदरा में दालें महंगी हो रही है। गुरुवार को ही दालों की कीमत में एक से दो रु. किलो की बढ़ोतरी हुई।
इस साल राहत की उम्मीद कम
मौजूदा खरीफ सीजन के दौरान देश में दलहन की पैदावार 55.6 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले सीजन के मुकाबले 3.6 लाख टन ज्यादा होगी। लेकिन केंद्रीय कृषि मंत्रालय के वर्ष 2014-15 के चौथे अनुमान के मुताबिक देश में दलहन की पैदावार 1.72 करोड़ टन होगी, जो पूर्व वर्ष के मुकाबले 20.5 लाख टन कम होगी। चने का उत्पादन भी पिछले वर्ष के मुकाबले घटकर 71.7 लाख टन रहने का अनुमान है।