रायपुर। छत्तीसगढ़ में खदानों की सीमा तय करने के लिए सैटेलाइट सर्वे कराया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार ने दस कंपनियों को अधिमान्य किया है। ये कंपनियां कोयला व लौह अयस्क खदानों को छोड़कर चूना-पत्थर, बॉक्साइट और अन्य खनिजों की खदानों की सीमा का निर्धारण करेंगी। कोयला खदानों के सर्वे का काम केंद्र सरकार की एजेंसी सीएसपीडीएल कर रही है। वहीं लौह अयस्क की खदानों के सर्वे का जिम्मा एनएमडीसी को दिया गया है।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक चीफ कंट्रोलर ऑफ माइंस व भारतीय खान ब्यूरो के निर्देश पर ग्लोबल पोजिसिनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) का उपयोग करते हुए खनिज कोयला को छोड़कर सभी खनिजों की खनिज रियायतों के सीमा स्तंभ का सर्वेक्षण कराया जा रहा है। इसके लिए दस कंपनियों को अधिकृत किया गया है। इनमें अदिति इंफोटेक नागपुर, वीएस इंजीनियर्स एंड कंसल्टेंट नोएडा, श्रीटेक इंजीनियर्स हास्पेट कर्नाटक, साइबर स्वीफ्ट इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड कोलकाता, डिपार्टमेंट ऑफ माइनिंग इंजीनियरिंग धनबाद, मैपटेक सॉल्यूशन भुवनेश्वर, ओवनसिस माइनटेक कंसल्टेंट जयपुर, सिनर्जी प्राइवेट लिमिटेड नागपुर, इमेजिस इंजीनियरिंग सॉल्यूशन नागपुर व सुवद्रा कंसल्टेंट ओड़िशा शामिल हैं।
इन कंपनियों को अधिमान्यता तीन वर्ष के लिए होगी। ये कंपनियों खदानों का जीपीडीएस सर्वे करेंगी। जीपीडीएस सर्वे के लिए राशि खनन करने वाली कंपनी देगी। सर्वे कार्य की गुणवत्ता में किसीभी तरह की कमी पाए जाने अथवा अनियमितता की शिकायत मिलने पर राजय सरकार अधिकृत एजेंसी की मान्यता कभी भी खत्म कर सकती है। डीजीपीएस सर्वे के संबंध में भारतीय खान ब्यूरो और राज्य शासन द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्देशों का पालन करना होगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में खनिजों के अवैध उत्खनन व परिवहन की लगातार शिकायतें मिलती रही हैं। जीपीएस सर्वे से खनन की वास्तविक स्थिति का पता चल सकेगो और उसके आधार पर राज्य सरकार आगे की कार्रवाई कर सकेगी।