लोहण्डीगुड़ा विकासखंड के ग्राम बड़े परोदा के किसानों को कृषि विभाग व्दारा प्रोत्साहित किया जा रहा है। मां दंतेश्वरी लघु धान्य-दलहन महिला अभिरुचि समूह रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाइयों का उपयोग किए बगैर कोदो, रागी और बगड़ी चाऊर (रेड राइस )का उत्पादन किया जा रहा है।
उप संचालक (कृषि) कपिलदेव दीपक ने बताया कि जैव विविधता की धरती बस्तर का लाल चावल फास्फोरस का बढ़िया स्रोत है। इसमें कार्बोहाइड्रेटस, प्रोटीन, खनिज की पर्याप्त मात्रा है। इसी तरह कोदो व रागी शुगर फ्री हैं। इनकी महानगरों में बड़ी मांग है परन्तु बस्तर के इन पारंपरिक फसलों को वाजिब सम्मान और दाम नहीं मिल रहा है।
कृषि प्रौद्यौगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) व्दारा बड़े परोदा के किसानों को इस दिशा में प्रोत्साहित किया गया ,इसके बेहतर परिणाम सामने आए। अब इन तीनों उत्पादों को पेटेन्ट कराने की प्रक्रिया शुरू की गई है। कोदो,रागी और रेड राइस के पैकेट कृषि अनुसंधान केन्द्र जबलपुर को भेजे गए हैं ताकि इनका रजिस्टर्ड कराया जा सके। केन्द्र को अन्य जानकारियां भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।