कम उत्पादन की आशंका के कारण आने वाले समय में दो प्रमुख जिंसों, दलहन और तिलहन की कीमतों पर क्या असर हो सकता है, इसका विश्लेषणः
तिलहन में तेजी की गुंजाइश
सितंबर में जारी अमेरिकी कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक फसल वर्ष 2015-16 के दौरान दुनियाभर में कुल तिलहन उत्पादन 52 करोड़ 72 लाख टन रहने का अनुमान है। अगस्त में आई रिपोर्ट के मुकाबले यह 19 लाख टन कम है। पूरी दुनिया में सोयाबीन का कुल उत्पादन 31 करोड़ 96 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया है। अगस्त की रिपोर्ट के मुकाबले यह 5 लाख टन कम है। जाहिर है, अनुमानित उत्पादन घटने का असर इनकी कीमतों पर हो सकता है।
यूएसडीए की रिपोर्ट
आशंका जताई जा रही थी कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व सितंबर की बैठक में ब्याज दर बढ़ाने का फैसला करेगा। लेकिन, यह फैसला टाल दिया गया। दूसरी ओर पूरी दुनिया पर अल नीनो (खास भौगोलिक परिस्थिति, जिसके कारण बारिश कम होती है) का प्रभाव बढ़ने की आशंका ने अनुमानित तिलहन उत्पादन पर असर डाला है। इसके अलावा अमेरिकी अर्थव्यवस्था के नवीनतम आंकड़े उम्मीद से बेहतर आए हैं। वहां सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में 3.9 प्रतिशत वृद्घि हुई है। आने वाले समय में यदि अल नीनो के असर की आशंका गहराती है, तो अमेरिकी कृषि विभाग अक्टूबर की रिपोर्ट में उत्पादन का अनुमान और घटा सकता है।
सोयाबीन का बढ़ेगा भाव!
औसत से कम मानसूनी बारिश की वजह से भारत में सोयाबीन का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। सीबॉट (सिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड) पिछले कुछ महीनों से 8.50-9 डॉलर प्रति बुशल के स्तर पर कारोबार कर रहा है। इस लिहाज से हमारा मानना है कि आने वाले समय में इसमें तेजी आ सकती है। इसका असर घरेलू बाजार में सोयाबीन के भाव पर नजर आ सकता है। सोयाबीन की कीमतों को कमजोर रुपए का भी सहारा मिल सकता है। आने वाले समय में सोयाबीन एकबार फिर 3,420-3,500 रुपए के स्तर तक जा सकता है। हमारे हिसाब से सोयाबीन का भाव अब 3,200 रुपए प्रति क्विंटल से नीचे आना मुश्किल है।
चने में बनी रह सकती है तेजी
पिछले कुछ दिनों से चने के भाव में भारी उतार-चढ़ाव का रुझान है। घरेलू बाजार में इस साल दलहन की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी दर्ज की गई है। एक अनुमान के मुताबिक फसल वर्ष 2014-15 के दौरान देश में 172 लाख टन दलहन का उत्पादन हुआ, जो लगभग 20 लाख टन कम है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से जारी चौथे अग्रिम उत्पादन अनुमान के मुताबिक चने का कुल उत्पादन 71.70 लाख टन रह सकता है। चने का यह उत्पादन स्तर पिछले 6 साल में सबसे कम है। चने की नई फसल आने में फिलहाल 4-5 माह बाकी हैं।
भाव गिरने की गुंजाइश कम
एनसीडीईएक्स के गोदामों में 23 सितंबर तक कुल 62,694 टन चने का स्टॉक बचा है। हालांकि सरकार आयात के लिए लगातार टेंडर जारी कर रही है, लेकिन नई फसल आने में देरी और त्योहारों के सीजन में मांग बढ़ने की संभावना के कारण चने के भाव में गिरावट की गुंजाइश कम नजर आ रही है।
भाव को सपोर्ट इसलिए
घरेलू वायदा एक्सचेंजों पर मार्जिन बढ़ाए जाने और सरकार की ओर से दलहन की स्टॉक लिमिट की अवधि एक साल बढ़ा दिए जाने के बावजूद दलहन के भाव कम नहीं हो रहे। फिलहाल तमाम दलहन में चना ही सबसे सस्ती कमोडिटी है। ऐसे में चने के भाव में कुछ समय के लिए कमी आना संभव नहीं नजर आ रहा है। हमारा मानना है कि चने के भाव एक बार फिर 4,600-4,700 रुपए प्रति क्विंटल तक की तेजी दिखा सकते हैं। लेकिन, ऊपरी स्तरों पर सरकार की ओर से उठाए गए कदम कीमतों पर लगाम लगाने में कारगर साबित हो सकते हैं।