पोलावरम से नुकसान का पता लगाने मांगी दोगुनी रकम

विनोद सिंह, जगदलपुर। दक्षिण बस्तर के सुकमा जिले की सीमा पर आंध्रप्रदेश के पश्चिम गोदावरी नदी में निर्माणाधीन पोलावरम बहुउद्देशीय अंतरराज्यीय परियोजना से सुकमा जिले को होने वाले नुकसान का पता लगाने में राज्य शासन का पसीना छूट रहा है।

राज्य शासन ने चालू वित्त वर्ष के राज्य बजट में पोलावरम परियोजना से प्रभावित होने वाले क्षेत्र का आंकलन करने एक करोड़ का प्रावधान किया है जबकि सर्वेक्षण के लिए निविदा भरने वाली एजेंसियों ने तीन से लेकर चार गुना तक राशि मांगी है। अब सरकार को तय करना है कि वह सर्वे निजी एजेंसी से कराए या फिर विभागीय टीम बनाकर सर्वेक्षण कराए। आंध्रप्रदेश के सर्वेक्षण को अमान्य करने के बाद पिछले सात साल से सर्वेक्षण का मामला लटका पड़ा है।

राज्य शासन अभी तक यह नहीं पता लगा पाई है कि पोलावरम बांध के बैक वॉटर से सबरी नदी के उफान पर रहने से सुकमा जिले का कितना हिस्सा और आबादी प्रभावित होगी। तीन माह पहले सर्वेक्षण के लिए बुलाई गई पहली निविदा में 2 करोड़ 81 लाख रुपए न्यूनतम से लेकर अधिकतम साढ़े चार लाख रुपए की दर आई थी। जिसे बजट से काफी अधिक बताते हुए जल संसाधन विभाग ने निरस्त कर दिया और गत माह दूसरी बार निविदा बुलाई गई लेकिन किसी फर्म ने निविदा भरा ही नहीं।

तीसरी बार हाल ही में फिर निविदा बुलाई गई, 19 सितंबर को निविदा खोली गई जिसमें पहली निविदा में न्यूनतम दर 2.81 करोड़ रखने वाली रायपुर की फर्म आरसी स्ट्रक्चर एंड इंजीनियरिंग प्रायवेट लिमिटेड ने 2.72 करोड़ रूपए की दर दी है। पांच फर्म ने निविदा भरी थी। सुकमा जिला प्रशासन ने रिपोर्ट राज्य शासन को भेज दी है। बजट से करीब पौने तीन गुना अब राज्य शासन को तय करना है कि सर्वेक्षण कैसे और किससे कराना है। पूरा इलाका नक्सल प्रभावित होने के कारण निजी एजेंसियां वास्तविक दर से अधिक दर पर ही सर्वेक्षण करने को राजी हैं दूसरी ओर सरकारी विभाग पहले ही सर्वेक्षण करने से हाथ खड़े कर चुके हैं।

क्यों जरूरत पड़ी सर्वेक्षण की?

पोलावरम से सुकमा जिले में पड़ने वाले प्रभाव का आंकलन करने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि आंध्रप्रदेश द्वारा किए गए सर्वेक्षण को दंतेवाड़ा जिला प्रशासन द्वारा संदेहास्पद करार देने के बाद राज्य सरकार को नए सिरे से सर्वेक्षण कराना पड़ रहा है। राज्य शासन ने सुप्रीम कोर्ट में 20 अगस्त 2011 को पोलावरम प्रोजेक्ट के विरोध में एक रिट याचिका लगाई है।

याचिका में राज्य सरकार ने विभिन्न सरकारी विभागों से मिले आंकड़ों को ही पेश किया है। कहा जा रहा है कि नक्सली भय से विभागों द्वारा मौके पर न जाकर नक्शा के आधार पर ही आंकलन कर रिपोर्ट सरकार को भेज दी है। सात माह पूर्व विधानसभा के बजट सत्र में कोंटा विधायक कवासी लखमा और जगदलपुर विधायक संतोष बाफना द्वारा पोलावरम से नुकसान का मामला जोर-शोर से उठाने के बाद राज्य शासन की ओर विधानसभा में नए सिरे से सर्वे कराने की घोषणा की थी और बजट में एक करोड़ का प्रावधान भी किया गया है।

आंध्रप्रदेश ने दिया है 59 लाख रुपए

अविभाजित आंध्रप्रदेश ने पोलावरम से सुकमा जिले को होने वाले नुकसान का आंकलन करने संयुक्त सर्वेक्षण के लिए सात साल पहले 59 लाख रुपए छत्तीसगढ़ शासन को सौंपा है। उस समय सलवा जुडूम जारी रहने तथा नक्सली घटनाओं में तेजी को देखते हुए संयुक्त सर्वेक्षण को टाल दिया गया था।

आंध्रप्रदेश द्वारा दी गई राशि आज भी दंतेवाड़ा जिला प्रशासन के पास जमा है। मालूम हो कि पोलावरम से सुकमा जिले की करीब 35 हजार आबादी के विस्थापन और साढे सात हजार हेक्टेयर जमीन के डूबने की आंशका सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में राज्य शासन द्वारा कही गई है।

‘निविदा में मिली दरों की जानकारी प्रमुख अभियंता कार्यालय रायपुर को दे दी गई है। राज्य शासन ने एक करोड़ का बजट तय किया है, निविदा दरें काफी अधिक आई हैं।’ -पीके वर्मा, अधीक्षण यंत्री इंद्रावती परियोजना मंडल।

 

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