आर्थिक समस्याओं और चुनौतियों पर किताब में लिखा गया है कि आजादी के बाद देश में बेरोजगारी का प्रतिशत बढ़ गया है, क्योंकि महिलाओं ने सभी क्षेत्रों में काम करना शुरू कर दिया है।
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की किताब में महिलाओं पर थोपे गए बेरोजगारी के कारण के इस अध्याय को पढ़ने के बाद 24 वर्षीय सौम्या गर्ग महिलाओं के पक्ष में मुखर हुई हैं। सौम्या ने राज्य महिला आयोग में इस पाठ्यक्रम के खिलाफ याचिका दायर की है। उन्होंने कहा है कि पुरुषों की ही तर महिलाओं को भी देश में रोजगार के लिए समान अधिकार प्राप्त हैं।
उन्होंने पाठ्यक्रम पर प्रश्न उठाया है कि, क्या बेरोजगारी का प्रतिशत मापते वक्त मानकों में सिर्फ पुरुषों को ही शामिल किया जाता? सौम्या गर्ग ने कहा कि आधुनिकता और पुरुष-महिला में समानता के इस युग में बच्चों को ऐसी शिक्षा नहीं देनी चाहिए।
सौम्या की शिकायत के बाद महिला आयोग की सदस्य हर्षिता पांडे ने कहा कि इस मुद्दे को प्रमुखता से लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से इस मामले पर मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखेंगी।
जानेमाने शिक्षाविद डॉ. जवाहर सुरीसेटी ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब CGBSE पाठ्य पुस्तकों की सामग्री को संदिग्ध पाया गया है। उन्होंने इस पाठ्यक्रम को बेहद आपत्तिजनक बताते हुए कहा कि यह छात्रों के बीच महिलाओं के प्रति गलत मानसिकता पैदा करने का प्रयास है। इस तरह की सामग्री को तुरंत हटा दिया जाना चाहिए।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निदेशक संजय ओझा ने कहा कि यह लेखक के अनुभव का दृष्टिकोण था। अब यह शिक्षकों पर निर्भर करता है कि वे बच्चों तक इसे कैसे पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा सामग्री को तुरंत हटाया नहीं जा सकता है। इसपर अगले शैक्षणिक सत्र में समीक्षा के बाद संशोधन का विचार किया जा सकता है।
कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रवक्ता शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि ऐसा पाठ्यक्रम बच्चों के बीच सामंतवादी मानसिकता को बढ़ावा देता है।