पंचायत में चोरी का आरोप आदिवासी परिवार की महिलाओं पर लगाया गया। जबकि इसका कोई प्रमाण पंचायत और आरोप लगाने वाले लोगों के पास नहीं था। पंचायत के इस फरमान से आदिवासी परिवार की भैंस सवर्णों ने खोल लीं। अब इस परिवार की रोजी रोटी का जरिया छिन गया है। मामला हफ्तेभर से पुलिस जांच में है, लेकिन पुलिस अब तक परिवार को उसकी भैंस नहीं दिलवा पाई है।
पोरसा की रजौधा पंचायत के तहत आने वाले मानधाता का पुरा गांव में आदिवासी सूरज पाल अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रह रहा है। आदिवासी सूरज पाल की पत्नी विद्यादेवी ने 15 सितंबर को पोरसा में हुई जनसुनवाई में एसपी विनीत खन्ना को बताया कि गांव के एक सवर्ण परिवार की महिला सदस्यों के कुछ जेवर यात्री जीप से गायब हो गए थे। इस चोरी का आरोपी दबंग परिवार ने सूरज पाल की पत्नी विद्यादेवी और बेटी पर लगाया। पोरसा थाने में इस घटना की एफआईआर भी हुई।
मामले की पुलिस जांच कर पाती या कोर्ट इसकी सुनवाई कर पाता, इससे पहले ही दबंग परिवार ने गांव में पंचायत बुलाई। आदिवासी सूरज पाल को सपरिवार पंचायत में आने को कहा गया। एक तरफा सुनवाई में आदिवासी परिवार पर चोरी का आरोप लगाया गया। इस पर आदिवासी परिवार ने कहा कि उसने कोई चोरी नहीं की, यहां तक कि उस जीप में उसके परिवार की महिलाएं नहीं थीं, लेकिन परिवार की कोई बात नहीं सुनी गई और फरमान सुनाया गया कि जेवर की कीमत की भरपाई के लिए आदिवासी परिवार की भैंस खोलकर दबंग को दे दी जाएं।
भैेंसें ले गए दबंग
विद्यादेवी के मुताबिक पंचायत के इस फैसले के बाद आरोपी नरेश, पवन, धन सिंह, गोलू आदि उनके घर आए और मारपीट कर चारों भैंस खोल ले गए। इस दौरान पंचायत के कहे अनुसार आरोपियों ने कोरे कागज पर सूरज पाल का अंगूठा लगवा लिया।
विद्यादेवी की मानें तो इस मामले में विवाद की जड़ वह छह बीघा जमीन है, जिसे गांव के आरोपी दबंग जोता करते थे और बाद में यह जमीन पट्टे पर आदिवासी परिवार को मिल गई। विद्यादेवी के अनुसार आरोपी उनके साथ ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि वे परेशान होकर भाग जाएं और जमीन पर फिर से दबंग कब्जा करके खेती करें।
भैंसें खोलना ठीक नहीं
इस मामले में एसपी विनीत खन्ना का कहना है कि खुद आदिवासी परिवार ने चोरी करना स्वीकार किया और पंचनामा बनाकर दिया कि वे बदले में भैेंसें देकर चोरी की भरपाई करेंगे। खन्ना ने यह स्वीकार किया कि बेशक चोरी आदिवासी परिवार ने की हो फिर भी किसी एक चीज के बदले दूसरी चीज जबरन ले लेना वैधानिक नहीं। खन्नाा के मुताबिक इसमामले को उन्होंने संज्ञान में लिया है और जांच एसडीओपी अंबाह को सौंपी है।
कर रहे जांच
मामले की जांच कर रहे हैं। जिन लोगों पर आदिवासी परिवार आरोप लगा रहा है भैंस उनके पास नहीं हैं। भैंस शिकारपुरा के किसी और परिवार के पास है, जिसके जेवर चोरी हुई थे। मामले की जांच की जा रही है।
किशोर सिंह भदौरिया, एसडीओपी, अंबाह