नई दिल्ली। देश को आजाद हुए 68 साल पूरे हो गए हैं। इन वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। तेजी से हुई आर्थिक प्रगति का लोगों की आमदनी पर भी सीधा असर हुआ है। आजादी के समय साल 1947 में जहां प्रति व्यक्ति आय केवल 249.6 रुपए सालाना थी। उसमें रिकॉर्ड 200 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी हुई है। साल 2015 तक यह बढ़कर सालाना 88,533 रुपए तक पहुंच गई है।
प्रति व्यक्ति आय और इसको मापने का पैमाना
प्रति व्यक्ति आय का मतलब सीधे तौर पर किसी व्यक्ति की आय से लगाया जाता है। इसके जरिए ही लोगों के रहन-सहन और लोगों की व्यक्तिगत आर्थिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। दरअसल प्रति व्यक्ति आय वह पैमाना है जिसके जरिए यह पता चलता है कि किसी देश में एक व्यक्ति की सालाना आमदनी कितनी है। साथ ही किसी देश, शहर और क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर और उसकी गुणवत्ता का पता चलता है। एक व्यक्ति की आमदनी एक साल में कितनी है इसको जानने के लिए देश की कुल आमदनी में कुल जनसंख्या से भाग देककर के प्रति व्यक्ति आय निकाली जाती है।
आजादी के वक्त और 2015 में प्रति व्यक्ति आय
आजादी के बाद लोगों की आमदनी निरंतर बढ़ती रही है। यह बढ़ोत्तरी साल 1991 के बाद ज्यादा देखने को मिली। साल 1947 में जहां प्रति व्यक्ति आय 249.6 रुपए थी उसमें रिकॉर्ड 200 फीसदी वृद्धि आई। वहीं प्रति व्यक्ति आय में पिछले चार साल के दौरान जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कर्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार प्रति व्यक्ति आय में वित्त वर्ष 2011 से 2015 के बीच 37 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। प्रति व्यक्ति सालाना आय के जो आंकड़े दिए गए हैं उसके मुताबिक वित्त वर्ष 2011-12 में प्रति व्यक्ति आय 64, 316 रुपए थी जो कि बढ़कर वित्त वर्ष 2012-13 में 71, 593 रुपए हो गई। उसी तरह वित्त वर्ष 2013-14 में प्रति व्यक्ति आय 80, 388 रुपए थी जो कि बढ़कर वित्त वर्ष 2014-15 में 88, 533 रुपए पर हो गई है।