नई दिल्ली। सरकार ने अपने पहले अग्रिम अनुमान में 20 लाख गांठ (एक गांठ=170 किलो) कपास उत्पादन घटने की आशंका जताई है। वहीं हरियाणा और पंजाब में व्हाइटफ्लाई नामक कीड़े की वजह से 25 फीसदी फसल क्षतिग्रस्त होने का अनुमान है। इसके बावजूद ट्रेडर्स का मानना है कि कपास की कीमतों में तेजी नहीं आएगी। इसकी मुख्य वजह ग्लोबल स्तर पर ओवर सप्लाई, चीन से कमजोर मांग और यार्न की गिरती कीमतें हैं। वहीं इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक देश के टेक्सटाइल सेक्टर की हालत अच्छी नहीं है, जिस कारण रॉ-कॉटन की कीमतों में भी बढ़ोत्तरी की उम्मीद कम है।
कॉटन की कीमतों तेजी की नहीं संभावना
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के प्रेसीडेंट महेश शारदा ने मनीभास्कर को बताया कि हरियाणा और पंजाब में कपास की फसलों पर व्हाइटफ्लाई के हमले के बावजूद कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं हैं। शारदा के मुताबिक इसकी मुख्य वजह ग्लोबल मार्केट में कपास की ओवर सप्लाई और यार्न की गिरती कीमतें हैं।
भटिंडा के कॉटन कारोबारी संदीप जिद्दा ने कहा कि पंजाब की मंडियों में कॉटन 3700-3750 रुपए प्रति मॉन्ड (1 मॉन्ड= 37.324 किलोग्राम) के भाव बिक रहा है। पिछले साल कपास का भाव 4300-4350 रुपए प्रति मॉन्ड था। जिद्दा ने बताया कि इस साल कपास की बुआई पिछले साल के मुकाबले 8 फीसदी कम है। इसके बावजूद उत्पादन 370 लाख गांठ के आसपास रह सकता है, जिस कारण कीमतों में उछाल की संभावना कम है।
केडिया कमोडिटी के एमडी अजय केडिया ने कहा कि देश में उत्पादन घटने के अनुमान से कपास की कीमतों में छोटी अवधि के लिए तेजी देखने को मिल सकती है। लेकिन ग्लोबल मार्केट में ओवर सप्लाई और चीन से कमजोर मांग के चलते कीमतें चालू स्तर के आसपास ही बनी रहेंगी।
देश में घटेगा 20 लाख गांठ कपास उत्पादन
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने इस साल कपास के उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका जताई है। कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक 2015-16 सीजन के दौरान देश में कपास का उत्पादन घटकर 335 लाख गांठ (एक गांठ = 170 किलो) तक आ सकता है। साल 2014-15 के लिए चौथे अग्रिम अनुमान के मुताबिक पिछले साल देश में कपास का उत्पादन करीब 355 लाख गांठ रह सकता है। इस साल उत्पादन में करीब 20 लाख गांठ की कमी आ सकती है।