30 साल के सबसे बड़े सूखे जैसे हालात, घट सकती है GDP की ग्रोथ रेट

नई दिल्ली। अल नीनो की वजह से कमजोर होते मानसून ने देश के कई इलाकों में सूखे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। ऐसे में लगातार दूसरे साल फसलों के लिए मौसम प्रतिकूल हो गया है। इसका सीधा असर प्रोडक्शन से लेकर इकोनॉमी पर पड़ने की आशंका है। ऐसा इसलिए है, क्‍योंकि करीब 30 साल बाद लगातार दूसरे साल सूखे जैसे हालात बन गए हैं। इकोनॉमिस्ट के अनुसार अगर स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो खाद्यान्न उत्पादन में 2 फीसदी की कमी आ सकती है। इसका इम्पैक्ट जीडीपी पर होगा। ऐसी आशंका है कि जीडीपी ग्रोथ में 0.50 फीसदी की कमी आ सकती है।
जीडीपी ग्रोथ को लग सकता है झटका
आरपीजी फाउंडेशन के प्रेसीडेंट डीएच पई पनान्दिकर ने मनीभास्कर को बताया कि कम बारिश की सबसे ज्यादा मार दक्षिण भारतीय राज्यों पर पड़ा है। इसका असर दलहन और धान के उत्पादन पर पड़ सकता है। पनान्दिकर ने कहा कि इस साल 2 फीसदी तक खाद्यान उत्पादन घट सकता है। इससे सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र के लोग प्रभावित होगें, जिसके कारण कंज्यूमर ड्यूरेबल, टू-व्हीलर्स और एफएमसीजी प्रोडक्ट की डिमांड में गिरावट की आशंका है। उन्होंने बताया कि वेदर कंडीशन्स खराब होने के चलते जीडीपी ग्रोथ दर में 0.50 फीसदी की कमी आ सकती है। फिलहाल देश की जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी है। हालांकि महंगाई बढ़ने की फिलहाल कोई संभावना नजर नहीं आ रही है, क्योंकि क्रूड की कीमतें लगातार गिर रही हैं। लेकिन सरकार पर सब्सिडी का बोझ बढ़ सकता है।
30 साल का सबसे खराब मानसून
1 जून से लेकर 13 सितंबर तक देश भर में 673.5 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य के मुकाबले 16 फीसदी कम है। सामान्य तौर पर इस दौरान 802 मिलीमीटर बारिश होती है। 2009 के दौरान देश भर में सामान्य के मुकाबले 21.8 फीसदी कम बारिश हुई थी। यानी 2009 के बाद 2015 सबसे सूखा साल साबित होने जा रहा है। दूसरी ओर 2014 में 12 फीसदी कम बारिश हुई थी। 1986-87 के बाद पहली बार लगातार दो साल सूखे जैसे हालात बने हैं।
सूखे के चपेट में दक्षिण भारत और पश्चिम भारत
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के मुताबिक देश के 44 फीसदी इलाकों में सामान्य से कम बारिश हुई है। दक्षिण भारत के केरल और कर्नाटक में सामान्य से 28 फीसदी कम बारिश हुई है, जबकि तेलंगाना में 23 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई। पश्चिम भारत के महाराष्ट्र में 44 फीसदी और गुजरात में 32 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई। वहीं उत्तर भारत में पंजाब और हरियाणा में करीब 40 फीसदी कम बारिश हुई है। उत्तर प्रदेश में सामान्य के मुकाबले 44 फीसदी कम बारिश हुई है।
जलाशयों में तेजी से घटा रहा है पानी
दक्षिणी भारत (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु) के 31 जलाशयों में 16.93 बिलियन क्यूबिक मीटर्स पानी है, जो कुल भंडारण क्षमता का सिर्फ 33 फीसदी है। पिछले साल समान अवधि में कुल भंडारण क्षमता का 71 फीसदी पानी इन जलाशयों में था। मानसून सीजन खत्म होने के बाद किसान सिंचाई के लिएजलाशयों के पानी का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि पिछले साल के मुकाबले हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, गुजरात, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के जलाशयों में पानी का स्तर बढ़ा है।

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