राइस मिलर्स ने आशंका जताई है कि इस साल छत्तीसगढ़ में चावल का कारोबार आधा रह जाएगा। मिलर्स की आशंका को इस बात से भी बल मिलता है कि राज्य में 9 जिलों में भयंकर सूखे के हालात पैदा हो रहे हैं वहीं 9 जिले ऐसे हैं जहां धान की बालियां निकलते समय बारिश नहीं हुई है। अगर धान पैदा ही नहीं होगा तो वह राइस मिल तक पहुंचेगा कैसे? इसके अलावा किसान भी धान अधिक से अधिक निकालना छोड़कर स्टॉक कर रहा है। इसलिए मिलों में धान की पर्याप्त आवक भी नहीं हो पा रही है। यही कारण है कि चावल के दामों में इन दिनों तेजी देखी जा रही है। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में तथा प्रदेश के बाहरी क्षेत्रों में भेजे जाने वाले चावल से धान के इस कटोरे में महीने भर में चावल का कारोबार करीब 200 करोड़ का रहता है। लेकिन आज की स्थिति को देखते हुए यह कारोबार 100 करोड़ तक सिमटने की संभावना है। प्रदेश में करीब 1700 राइस मिल है।
महीने भर में 7 रुपए किलो तक की तेजी
पिछले कई महीने से सुस्त पड़े चावल मार्केट में तेजी आ गई है तथा महीने भर में ही इनकी कीमतों में 500 रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ गए। चिल्लर में चावल के दाम 7 रुपए किलो तक बढ़ गए हैं। एचएमटी इन दिनों 40-45 रुपए किलो, काली मूंछ व जयश्रीराम 50 रुपए किलो तक बिक रहा है। करीब महीने भर पहले एचएमटी 33-38 रुपए किलो तथा जयश्रीराम व काली मूंछ 43 रुपए किलो तक बिक रहे थे।
सूखे की आशंका पूरे चावल मार्केट में भी हावी होती जा रही है। इसके चलते ही इन दिनों मिलों से धान गायब है तथा चावल महंगा हो रहा है।
रमेश मेघानी,अध्यक्ष, थोक अनाज कारोबारी संघ
धान की अनुपलब्धता के कारण प्रदेश की राइस मिल बंद होने की कगार पर पहुंच रही हैं। सूखे की आशंका चावल मार्केट में भी हावी हो गई है।
योगेश अग्रवाल, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राइस मिल एसोसिएशन