चार से शुरू अब तक तीस
करीब एक महीना से महिला अत्याचार के खिलाफ अलख जगाने का एक नया तरीका बाणगंगा रोड स्थित कुम्हारखाड़ी बस्ती की महिलाओं ने तैयार किया है। बस्ती में बहू-बेटियों का घर में शोषण होते देख कुछ दबंग महिलाओं ने अपनी गैंग बना ली। चार महिलाओं से शुरू हुआ समूह 30 महिलाओं की गैंग बन गया है।
इसलिए रखा नाम
पर्पल रंग महिला हिंसा का विरोधी माना जाता है। इसलिए महिलाओं ने अपनी गैंग का नाम पर्पल गैंग रख लिया। गैंग के पास एक डंडा है, जिस पर घुंघरू बंधे हैं। गैंग महीने में दो बार बस्ती में निकलती है। हर घर के बाहर डंडा ठोकती है। घुंघरू की आवाज सुनकर महिलाएं बाहर आती हैं, अगर कोई महिला शोषण की शिकार हो रही है तो उसके घर में बैठकर सुलह कराई जाती है, लेकिन अगर पुरुष अत्याचार करना बंद नहीं करता तो फिर पीड़ित महिला को न्याय दिलाने के लिए पुलिस थाने लेकर जाती हैं।
फिलहाल गैंग ने एक पहल शुरू की है और जल्द ही यह महिला हिंसा रोकने के लिए बड़ी गतिविधि की योजना बना रही है। पर्पल गैंग का मार्गदर्शन कर रहे एनजीओ के वसीम इकबाल ने बताया कि कुछ सामाजिक कार्यकर्ता महिला अधिकारों पर गैंग को विशेष प्रशिक्षण दे रहे हैं, जिससे वे पीड़ित महिलाओं को न्याय दिला सकें।
लड़कियों को छेड़ा तो खैर नहीं
50 वर्षीय शांति चौहान ने बताया कि महिलाओं के साथ बढ़ती घटनाओं ने गैंग बनाने को मजबूर कर दिया, अगर मोहल्ले की लड़की के साथ छेड़खानी या फब्तियां कसने की कोई घटना हुई तो पर्पल गैंग छोड़ेगी नहीं। ऐसे लोग अगर समझाने से नहीं समझे तो डंडे का इस्तेमाल करना पड़ेगा।
फिल्म देखकर बढ़ा उत्साह
रजनी यादव ने बताया कि हमारी बस्ती की महिलाओं ने गुलाबी गैंग फिल्म देखी। इसके बाद उत्साह बढ़ा। उस फिल्म में सभी महिलाएं गुलाबी साड़ी पहनकर महिला अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाती हैं। कहीं कोई भी महिला परेशान हो तो जैसे गुलाबी गैंग पहुंचती थी, वैसे ही पर्पल गैंग भी हर पीड़ित महिला का साथ देती है।