पश्चिम बंगाल– रोजाना राज्य में 39 लोग करते हैं खुदकुशी

कोलकाता : देश के अन्य राज्यों की तरह पश्चिम बंगाल में भी रोजाना बड़ी संख्या में आपराधिक व राजनीतिक घटनाएं होती हैं, जिनमें कई लोगों की जान जाती हैं. पर उससे भी कहीं अधिक संख्या में लोग आत्महत्या कर रहे हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े के अनुसार आत्महत्या करने के मामले में बंगाल देश में तीसरे स्थान पर है. पहले स्थान पर तमिलनाडु व दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र है. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2014 में पश्चिम बंगाल में कुल 14,300 लोगों ने खुदकशी की. यानी राज्य में रोजाना 39 लोग विभिन्न कारणों से अपनी जान दे रहे हैं. 
स्वयंसेवी संस्था मेडिकल बैंक के सचिव डी आशीष के अनुसार स्थिति बेहद गंभीर हो चुकी है. लोगों में आत्महत्या की प्रव‍ृति तेजी से बढ़ रही है. पिछले पांच दशक में भारत समेत दुनिया भर में आत्महत्या के मामलों में 60 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में 10 लाख लोग खुदकशी कर रहे हैं. वहीं, प्रत्येक तीन सेकेंड में एक व्यक्ति अपनी जान देने की कोशिश करता है. आत्महत्या के मामलों का सबसे भयानक पहलू यह है कि जिसने एक बार खुदकशी करने की कोशिश की, वह बच जाने के बाद भी चुप नहीं बैठता है, बल्कि बाद में बार-बार जान देने की कोशिश करता है. एक शोध के अनुसार एक व्यक्ति के आत्महत्या करने पर 20 लोग उससे प्रभावित हो कर जान देने के बारे में सोचने लगते हैं. 
श्री आशीष के अनुसार अगर इस स्थिति पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो 2020 तक प्रत्येक वर्ष खुदकशी करनेवालों की संख्या 15 लाख तक पहुंच जायेगी.
एक रिसर्च के अनुसार आत्महत्या का मुख्य कारण पति-पत्नी विवाद, बेरोजगारी, नशा, मानसिक अवसाद व पर्सनालिटी की कमी है. श्री आशीष ने बताया कि जो लोग समाज से कटे-कटे रहते हैं. लोगों से मिलना-जुलना कम कर देते हैं, उनमें आत्महत्या करने की इच्छा तेजी से पनपती है. इसलिए जरूरी है कि समाज से अलग-थलग हो रहे लोगों को साथ लेकर चलने का प्रयास किया जाये, उनसे मेल-मिलाप बढ़ा जाये.
10 सितंबर को दुनिया भर में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर मेडिकल बैंक ने शोभा बाजार मेट्रो स्टेशन समेत विभिन्न मेट्रो स्टेशनों के पास जागरूकता अभियान चलाया. 
इस अभियान की अच्छी बात यह रही कि स्कूल व कॉलेज के काफी छात्रों ने आ कर यह पूछताछ की कि क्या शहर में आत्महत्या के प्रति लोगों को सचेत करने के लिए काउंसिलिंग की व्यवस्था है और अगर है, तो कहां-कहां काउंसिलिंग होती है. श्री आशीष ने कहा कि युवाओं में पहले के मुकाबले जागरूकता बढ़ रही है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *