खाद्यान्न में अफरा-तफरी का बड़ा घोटाला उजागर

भोपाल। गरीबों के लिए रियायदी दर पर दिए जाने वाले खाद्यान्न् में अफरा-तफरी का बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। राजगढ़ और पचोर में परिवहनकर्ता साढ़े तीन करोड़ रुपए का खाद्यान्न् ले उड़ा। इसने गोदाम से 12 हजार 781 क्विंटल खाद्यान्न् उठाया पर राशन दुकान तक नहीं पहुंचाया। शुरुआत में परिवहनकर्ता घोटाले से इंकार करता रहा लेकिन नागरिक आपूर्ति निगम ने जब दस्तावेज सामने रख दिए तो उसके सारे तर्क हवा हो गए। द्वार प्रदाय योजना में घोटाले की पुष्टि होने पर नागरिक आपूर्ति निगम ने परिवहनकर्ता की सुरक्षा निधि दो लाख रुपए राजसात कर लिए और साढ़े तीन करोड़ की वसूली के आदेश थमा दिए।

साथ ही परिवहनकर्ता पर दस साल तक निगम का कोई भी काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। नागरिक आपूर्ति निगम ने अनियमितता की शिकायतों के मद्देनजर 2014 में लीड संस्थाओं से खाद्यान्न् की आपूर्ति कराने की व्यवस्था बंद कर दी। इसकी जगह द्वार प्रदाय योजना लागू करके हर जिले में परिवहनकर्ता को राशन दुकानों तक खाद्यान्न् पहुंचाने का जिम्मा सौंपा गया। राजगढ़ के पचोर विकासखंड में आने वाली राशन दुकानों तक खाद्यान्न् पहुंचाने का काम मेसर्स घनश्याम ट्रेडर्स को सितंबर 2014 में सौंपा गया।

जनवरी और फरवरी 2015 में घनश्याम ट्रेडर्स ने गोदाम से 12 हजार 781 क्विंटल गेहूं, चावल, शकर और नमक उठाया पर दुकानों को वितरित नहीं किया। इस खाद्यान्न् की कीमत 3 करोड़ 40 लाख रुपए से ज्यादा होती है। नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक ने घनश्‍याम ट्रेडर्स को कारण बताओ नोटिस भी थमाया था लेकिन उसने कोई जबाव तक नहीं दिया। प्रकरण गंभीर होने के कारण निगम ने मुख्यालय स्तर से दिया तो जबाव में ने सिर्फ सारे आरोपों को दिया बल्कि दावा किया कि उसे खाद्यान्न् प्राप्त ही नहीं हुआ।

जबकि, निगम के पास परिवहनकर्ता के अधिकृत प्रतिनिधि राकेश गुर्जर के हस्ताक्षर वाली पावती मौजूद है।इसी तरह राजगढ़ विकास खंड में मेसर्स ओम ट्रेडर्स ने सुस्तानी, कालीतलाई और पीपलखेड़ा के लिए आवंटित 69 क्विंटल गेहूं राशन दुकानों की जगह खुजनेर कृषि उपज मंडी में सोनू ट्रेडर्स के यहां पहुंचा दिया। खाद्य विभाग ने जांच की तो गेहूं सोनू ट्रेडर्स के यहां मिला। इसमें पौने दो लाख रुपए का गेहूं कम था।

दस साल तक नहीं कर पाएंगे काम: जांच रिपोर्ट के आधार पर निगम की प्रबंध संचालक नीलम शमी राव ने कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए हैं। इसमें कहा गया कि सुरक्षा निधि दो लाख रुपए राजसात कर लिए गए हैं। फर्म अब अगले दस साल तक परिवहन निविदा में किसी भी हैसियत से भाग नहीं ले सकेगी। दोनों फर्मों को काली सूची में डाला गया है और परिवहनकर्ता खाद्यान्न् का मूल्य जमा नहीं करता है तो करार के मुताबिक चल-अचल संपत्ति से भरपाई की जाएगी।

 

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