दिल्ली, फरीदाबाद और नोएडा में चल रही निर्माण परियोजनाओं में धड़ल्ले से समरसिबल पम्प लगाकर भूजल का अवैध प्रयोग करने वाले बिल्डरों की अब खैर नहीं है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण इन निर्माण गतिविधियों में पानी की खपत, उस क्षेत्र के भूजल की स्थिति और पानी के लिए किए जा रहे खर्च पर रिपोर्ट तलब की है।
निर्माण स्थलों पर औचक निरीक्षण करने के लिए एक समिति भी गठित कर दी। एनजीटी ने इस संबंध में जांच कर रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक कमिश्नर नियुक्त कर दिया है। साथ ही इस मामले में केंद्रीय, दिल्ली, यूपी और हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण समेत अन्य प्राधिकारों को इन पहलुओं पर जवाब देने को कहा है।
कमिश्नर को जस्टिस स्वतंतर कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी पता लगाने को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कुल कितनी निर्माण परियोजनाएं चल रही हैं।
पीठ के समक्ष आवेदक विक्रांत तोंगड़ ने दावा किया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बड़ी तादाद में निर्माण परियोजनाएं जारी हैं। इनमें भूजल का प्रयोग किया जा रहा है। एनजीटी ने इस पर सहमति जताते हुए केंद्रीय और राज्यों के बोर्ड से जवाब तलब किया। एनसीआर क्षेत्र में भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। यह तथ्य कई पर्यावरण से संबंधित एनजीओ व अन्य की ओर से कराए गए शोध में सामने आया है।