मानसून: 18 फीसदी कम बारिश की आशंका, दालों और खाद्य तेलों का बढ़ेगा इंपोर्ट

नई दिल्ली। देश में इस साल सामान्य के मुकाबले 18 फीसदी बारिश का अनुमान है। इसका असर दलहन, तिलहन सहित खरीफ फसलों पर देखने को मिल सकता है। यही वजह है कि इस साल दालों और खाद्य तेलों के इंपोर्ट में खासी बढ़ोत्तरी की आशंकाएं पैदा हो गई हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक 2015-16 में देश में दालों का इंपोर्ट 15 लाख टन और खाद्य तेलों का इंपोर्ट 20 लाख टन बढ़ने का अनुमान है। इसका असर इंपोर्ट बिल पर पड़ सकता है।
देश में सामान्य से 18% कम होगी बारिश
इस साल साल पूरे मानसून सीजन के दौरान सामान्य के मुकाबले 82 फीसदी बारिश हो सकती है। मौसम विभाग (आईएमडी) ने 88 फीसदी बारिश का अनुमान लागाया था। ऐसे में इस साल सामान्य के मुकाबले 18 फीसदी कम बारिश की आशंका है। वहीं सितंबर में मानसून के सुधरने की आशंका काफी कम है। आईएमडी ने कहा कि सितंबर में सामान्य के मुकाबले 25 फीसदी कम बारिश हो सकती है। आईएमडी के डायरेक्टर डी एस पई ने 88 फीसदी का अनुमान बरकरार रखा है लेकिन इसमें 4 फीसदी और कमी होने की संभावना जताई है।
मराठवाड़ा पर मानसून की सबसे ज्यादा मार
चालू मानसून सीजन के दौरान सबसे कम बारिश कर्नाटक और महाराष्ट्र में हुई है। मराठवाड़ा में सामान्य के मुकाबले 52 फीसदी कम बारिश हुई है। वहीं मध्य महाराष्ट्र में 42 फीसदी कम बारिश हुई है। उत्तर भारत में हरियाणा-पंजाब में 40 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई।
15 लाख टन बढ़ सकता है दालों का इंपोर्ट
मुंबई के दाल इंपोर्टर सुनील अग्रवाल ने बाताया कि देश में करीब 50 लाख टन दाल की कमी है। इस साल सप्लाई और डिमांड में गैप की वजह से 2015-16 के दौरान देश में 60 लाख टन दाल इंपोर्ट हो सकता है। बीते साल देश में करीब 46 लाख टन दाल इंपोर्ट हुआ था। सप्लाई की कमी के कारण दालों की कीमतें आसमान छू रही हैं। कोटक कमोडिटी की एवीपी फैयाज हुड़ानी ने कहा कि कम बारिश की वजह से धान, सोयाबीन और दालों को लेकर चिंता बढ़ गई है। हुड़ानी ने बताया कि देश में दालों की सप्लाई पहले ही कम है, ऐसे में कमजोर मानसून ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
खाद्य तेलों का इंपोर्ट 16 फीसदी बढ़ने का अनुमान
एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ऑफ सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बी वी मेहता ने मनीभास्कर को बाताया कि तिलहन उत्पादक राज्यों में कम बारिश हुई है। इसका असर उत्पादन पर देखने को मिल सकता है। मेहता ने बाताया कि इस साल (अक्टूबर में खत्म हो रहे तेल वर्ष 2014-15) देश में खाद्य तेलों का इंपोर्ट करीब 20 लाख टन बढ़कर 135 लाख टन पहुंच सकता है। बीते साल 116 लाख टन खाद्य तेल का इंपोर्ट हुआ था। हालांकि ग्लोबल मार्केट में खाद्य तेल सस्ता होने की वजह से घरेलू मार्केट में कीमतें बढ़ने की संभावना बेहद कम है।

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