ग्लोबल इकोनॉमी के लिए बड़ी चुनौती है करेंसी डिवैल्युएशन

नई दिल्ली। भारत ने गुरुवार को स्पष्ट कहा कि प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए हो रहे करेंसी डिवैल्युएशन के मामले ग्लोबल इकोनॉमी के स्थायित्व के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं। भारत का यह बयान इस लिहाज से काफी अहम है, क्योंकि उसने जी20 के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नरों की बैठक से ठीक पहले ऐसा कहा है।
विकासशील देशों के बीच कप्टीटिव डिवैल्युएशन का खतरा
अंकारा के लिए निकलने से पहले जारी एक आधिकारिक प्रेस रिलीज के माध्यम से वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘बड़ी करेंसीज में हाल में हुए डिवैल्युएशन के बाद बड़ी संख्या में एशिया के विकासशील देशों की करेंसीज में कमजोरी से कंप्टीटिव डिवैल्युएशन का जोखिम पैदा हो गया है।’ उन्होंने कहा कि ऐसे दौर में जब ग्लोबल डिमांड कमजोर है, प्रतिस्पर्धा के तौर पर करेंसी डिवैल्युएशन से ग्लोबल इकोनॉमी के स्थायित्व के लिए बड़ी चुनौती पैदा हो गई है।
चुनौतियों का सामूहिक हल निकालने की होगी कोशिश
वह जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंकों के गवर्नरों की दो दिन तक चलने वाली बैठक में हिस्सा लेंगे, जहां वैश्विक आर्थिक हालात और सदस्य देशों की ग्रोथ की स्ट्रैटजीस पर चर्चा होगी। अंकारा में 4-5 सितंबर को होने वाली जी20 मंत्रियों और गवर्नरों की बैठक में हालिया ग्लोबल इकोनॉमिक घटनाक्रमों, चुनौतियां और उनका हल निकालने के लिए सामूहिक प्रयासों पर विचारों का आदान-प्रदान किया जाएगा। इस बैठक में आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन भी हिस्सा लेंगे।
प्रेस रिलीज के मुताबिक, ‘अंकारा में बैठक में हालात का विश्लेषण करने का प्रयास किया जाएगा और घरेलू क्रियाकलापों के नकारात्मक असर से देशों को बचाने के लिए ग्लोबल सेफ्टी के सामूहिक प्रयासों पर विचार किया जाएगा।’ इस बैठक से इतर जी20 देशों के वित्त मंत्री आपस में मुलाकात भी करेंगे।

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