नई दिल्ली। लैंड बिल को लेकर चल रहे विवाद के चलते देश में 100 स्मार्ट सिटी स्कीम अटक न जाए, इसके लिए मोदी सरकार ने ऑप्शन तलाश लिया है। सरकार स्मार्ट सिटी के लिए जमीन का अधिग्रहण करने की बजाय लैंड पूलिंग सिस्टम पर फोकस करेगी। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने लैंड पूलिंग पॉलिसी का खाका तैयार करना शुरू कर दिया है।
राज्य भी अधिग्रहण के पक्ष में नहीं
मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी स्कीम को लेकर पहले से ही यह मुद्दा उठता रहा है कि भूमि अधिग्रहण की वजह से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट अटक सकते हैं। राज्य सरकारें भी केंद्र के समक्ष यह मुद्दा उठा चुकी हैं। राज्य सरकारों का कहना है कि उनके राज्यों में कई अर्बन एक्सटेंशन प्रोजेक्ट जमीन अधिग्रहण या कब्जा न मिलने के कारण रुके हुए हैं। हालांकि स्मार्ट सिटी मिशन के सभी प्रोजेक्ट ऐसे नहीं होंगे कि उनके लिए जमीन अधिग्रहण करनी होगी, क्योंकि कुछ शहरों का रेट्रोफिटिंग और पुनर्विकास करके स्मार्ट सिटी में परिवर्तित किया जाएगा, लेकिन कई शहरों में ग्रीन फील्ड डेवलपमेंट के तहत नए शहरों का विकास किया जाएगा। इन शहरों में भूमि अधिग्रहण को लेकर दिक्कत आ सकती है।
क्या है लैंड पूलिंग सिस्टम
इस सिस्टम के मुताबिक, जमीन का मालिक अपनी इच्छा से अपनी जमीन का मालिकाना हक सरकार या सरकारी एजेंसी के नाम कर देता है। यह एजेंसी जमीन पर रोड, सीवर, बिजली, पानी जैसी सुविधा के साथ विकास करती है और जमीन का एक हिस्सा मालिक को वापस कर देती है। जहां मालिक रेजीडेंशियल या कॉमर्शियल प्रोजेक्ट बना कर अपने मूल्य पर बेच सकता है। चूंकि विकास होने के बाद जमीन की मार्केट वेल्यू बहुत बढ़ जाती है, इसलिए जमीन का मालिक अपनी इच्छा से जमीन सरकारी एजेंसी को देने के लिए तैयार हो जाता है।
भूमि अधिग्रहण कर शहर बसाना मुश्किल
शहरी विकास मंत्रालय के समार्ट सिटी मिशन से जुड़े एक अधिकारी बताते हैं कि पिछले कई अनुभव के मुताबिक भूमि अधिग्रहण करना बेहद जटिल हो चुका है और अधिग्रहण करके शहर नहीं बसाए जा सकते। यही वजह है कि अब जो भी नए शहर बस रहे हैं, वहां लैंड पूलिंग सिस्टम से जमीन का इंतजाम किया जा रहा है। नई स्मार्ट सिटी बसाने के लिए लैंड पूलिंग ही ठोस विकल्प है, इस सिस्टम से आसानी से जमीन मालिक अपनी जमीन पर विकास करने की इजाजत देगा और जमीन का बाजार भाव मिलने की वजह से उसे भी कोई दिक्कत नहीं होगी। इसलिए मंत्रालय लैंड पूलिंग पॉलिसी का एक मॉडल तैयार कर रहा है, ताकि राज्य सरकार उस मॉडल के आधार पर पॉलिसी बना सकें।