उनकी हालत बिगड़ती देख प्रधानाध्यापक साथी शिक्षक के साथ स्कूल से भाग गए। गांववालों ने पता चलने पर बच्चों को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनकटी में भर्ती कराया गया। लापरवाही के आरोप में प्रधानाध्यापक को निलंबित और रसोइयों को हटा दिया गया है।
फरेंदा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय परासखाड़ में बुधवार को रसोइया कृष्ण कुमारी, सावित्री व फूलमती बच्चों के लिए दूध गर्म कर रही थीं। इस दौरान एक छिपकली दूध के बर्तन में गिर गई। यह देख रसोइयों ने दूध से छिपकली निकालकर फेंक दी और बिना किसी को बताए दूध स्कूल के 122 बच्चों को पिला दिया। कुछ देर बाद ही बच्चे पेट दर्द की दिक्कत बताने के साथ उलटी करने लगे।
बच्चों की हालत बिगड़ती देख स्कूल के प्रधानाध्यापक कृष्णदेव यादव और शिक्षक शैलेश त्रिपाठी उन्हें अस्पताल पहुंचाने के बजाए स्कूल से भाग गए।
गांव के लोगों को जब घटना के बारे में पता चला तो वे दौड़कर स्कूल पहुंचे और बच्चों को तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनकटी में भर्ती कराया। जहां उनका इलाज चल रहा है।
सूचना मिलते ही सीएमओ जेके माहेश्वरी, एसडीएम जयचंद पांडेय समेत कई अधिकारी मौके पर पहुंच गए। चिकित्सक डॉ. एसके सिंह, डॉ. मुकेश गुप्ता ने बताया कि दूध पीने से बच्चों को उल्टी व गैस बनने की दिक्कत हुई है, जिसका इलाज हो रहा है।
इस संबंध में बीएसए जयप्रताप सिंह ने कहा कि खराब दूध के कारण चार बच्चे बीमार पड़े हैं। सभी खतरे से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानाध्यापक कृष्णदेव यादव को निलंबित कर दिया गया है और रसोइयों को हटा दिया गया है। शेष शिक्षकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। गांववालों में इस घटना को लेकर काफी गुस्सा है।
गांववालों ने कहा कि रसोइयों की लापरवाही के कारण सैकड़ों बच्चों की जान खतरे में पड़ गई है। इसके लिए रसोइयों से ज्यादा शिक्षक जिम्मेदार हैं। कुछ लोगों ने शिक्षकों को बर्खास्त करने की मांग की है।
वहीं ग्राम प्रधान राजू मिश्रा ने लापरवाह लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।