25 हजार किसानों ने राष्ट्रपति से मांगी आत्महत्या की अनुमति

मथुरा के करीब 25 हजार किसानों ने 15 अगस्त के दिन सामुहिक रुप से आत्महत्या करने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से अनुमति मांगी है। 17 साल बित जाने के बाद भी सरकार की तरफ से कोई मुआवजा नहीं मिलने की वजह से किसानों ने यह फैसला किया है।

गोकुल बैराज के निर्माण के बाद उसके परीक्षण के लिए किसानों के अनुमति के बिना बैराज के दरवाजे बंद कर दिए गए थे जिससे किसानों की करीब 700 एकड़ जमीन पानी में डुब गया था। इसकी वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था।

इस नुकसान के बाद 11 गांवों के किसान 1998 से ही मुआवजे की मांग कर रहे हैं जिन्हें अबतक किसी तरह की मदद नहीं मिली है।

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की एक शाखा भारतीय किसान संघ के महासचिव कुंवर निशाद के मुताबिक इसी साल फरवरी में जब किसान धरने पर बैठे हुए थे तो अधिकारियों ने एक महीने के भीतर इस समस्या का समाधान कर देने का वादा किया था लेकिन उन्होंने अबतक अपना वादा नहीं निभाया।

बजाय इसके हमारे कई किसान साथियों को लूट और डकैती के झूठे मामले में फंसा दिया गया। किसी तरह की मदद नहीं होता देख किसानों ने भारतीय किसान संघ के बैनर तले राष्ट्रपति को एक खत लिखा जिसमें उनसे सामुहिक आत्महत्या करने की अनुमति मांगी गई है।

निशाद ने बताया की सरकारी आंकड़ो के मुताबिक 700 एकड़ जमीन डुबने के लिए इन 25 हजार किसानों को करीब 800 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए। इस मुद्दे को कई बार संसद में भी उठाया गया लेकिन राज्य सरकार ने अपनी आंखें बंद कर रखी है इसलिए उनको किसानों का दर्द नहीं दिखाई देता।

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