किसानों के मुद्दे पर केंद्र से हठजोड़ कर रहे योगेंद्र यादव सहित 86 किसानों की हिरफ्तारी के बाद स्वराज अभियान ने नया मोड़ ले लिया है। कभी साथी रहे आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस मुद्दे पर किसानों के साथ खड़े हो गए। केजरीवाल ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की ।
पुलिसिया कार्यवाई को अनावश्यक बताया । वहीं दिल्ली पुलिस के मुखिया भीमसेन बस्सी ने गिरफ्तारी को सही ठहराते हुए कहा कि इसके अलावा पुलिस के पास कोई चारा न था। पुलिस ने कानून के दायरे में रहकर कदम उठाए। उधर योगेंद्र यादव से मिलने थाने में पहुंचे आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह को योगेंद्र के समथर्कों ने धक्का देकर वहां से चले जाने को मजबूर कर दिया।
हालांकि, योगेंद्र को मंगलवार शाम रिहा कर दिया गया। यादव के साथी प्रशांत भूषण ने दिल्ली पुलिस की कारर्वाई के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी लगाई। इसमें उन्होंने कहा है कि यादव की गिरफ्तारी मूल अधिकारों के खिलाफ है। भूषण ने कहा कि यादव ने प्रदर्शन के लिए मंजूरी ली थी। गिरफअतारी का औचित्य नहीं था पुलिस चाहती तो उन्हें जंतर मंतर पर रोक सकती थी। इससे बाद अदालत ने योगेंद्र यादव और उनके समथर्कों को रिहा करने का आदेश दिया।
इसके पूरे घटनाक्रम में ऑल इंडिया को-आर्डिनेशन कमिटी ऑफ फार्मर्स मूवमेंट (एआईसीसीएफएम) भी समर्थन में आई व चेतावनी दी कि वे ऐसे हमलों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। एआईसीसीएफएम ने इस बात पर जोर देते हुए कि शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करना उनका संवैधानिक अधिकार है यादव की इस मांग का समर्थन किया कि दिल्ली रेस कोर्स में किसान स्मारक बनाया जाए। एआईसीसीएफएम का हिस्सा रहे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, ‘जिस तरह से यादव को गिरफ्तार किया गया। घसीटा गया। वह गलत है। हम इसे बर्दाश्त नहीं हम उनके साथ हैं। रेस कोर्स में ही स्मारक बनना चाहिए।’
बता दें कि जंतर मंतर पर किसानों के मुद्दे को लेकर प्रदर्शन कर रहे पूर्व आप नेता योगेन्द्र यादव और उनके स्वराज अभियान के 85 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था। पुलिस ने प्रधानमंत्री आवास की ओर उनकी रैली करने की योजना को विफल करने के लिए ऐसा किया है।
पुलिस की कार्रवाई की भर्त्सना करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, यादव के समर्थन में आगे आये जिनके साथ चार महीने पहले उनका कटु विवाद हो गया था जिसके बाद यादव को आम आदमी पार्टी से निकाल दिया गया था। निष्काशित नेता स्वराज अभियान के बैनर तले ‘जय किसान आंदोलन’ शुरू किया गया है जो केन्द्र की कथित ‘किसान विरोधी’ नीतियों के खिलाफ है।
उनकी ट्रैक्टर रैली सोमवार को जंतर मंतर में एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन में बदल गई, जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों के किसानों ने हिस्सा लिया। संगठन दिल्ली रेस कोर्स पर किसानों का स्मारक बनाने की भी मांग कर रहा है। यादव और उनके ‘स्वराज अभियान’ के कार्यकर्ताओं ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर औरप्रधानमंत्री निवास की ओर मार्च किया व विरोध प्रदर्शन के प्रतीक के तौर पर ‘हल’ रखने की योजना बनाई थी।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के उन आरोपों का खंडन किया कि इस कार्रवाई के दौरान पुलिसकर्मियों ने यादव और अन्य कार्यकर्ताओं के साथ हाथापाई की। पुलिस का कहना है कि इन लोगों को एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया गया क्योंकि यह बिना अनुमति के उच्च सुरक्षा वाले इलाके में रैली करने जा रहे थे। पुलिस के मुताबिक योगेंद्र यादव और 85 अन्य लोगों को सोमवार देर रात लगभग एक बज कर 30 मिनट पर हिरासत में लेना पड़ा। उन्हें दो दिन तक प्रदर्शन करने की अनुमति दी गई थी।
पुलिस ने बताया कि उनकी दिल्ली रेस कोर्स की ओर रैली निकालने की योजना थी। सोमवार की शाम उन्होंने 16 अगस्त तक अनुमति बढ़ाने की मांग की थी। समय सीमा समाप्त हो गई थी लिहाजा हमने उन्हें जगह खाली करने को कहा। पुलिस ने बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 107 (शांति भंग होने या व्यवधान उत्पन्न होने की आशंका के तहत कार्रवाई) और 151 (संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए की गई कार्रवाई) के तहत उन्हें ‘एहतियातन गिरफ्तार’ किया गया है।
इस बीच, आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पुलिस की आलोचना की और कहा कि शांतिपूर्वक ढंग से विरोध करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। केजरीवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा कि योगेन्द्र यादव और उनके समर्थकों के साथ पुलिस ने जैसा बर्ताव किया हम उसकी निंदा रते हैं।
यह सही नहीं है क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत इस देश में शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का सबको अधिकार है और हम लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की निंदा करते हैं। केजरीवाल ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की और इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट देने की मांग करता हूं। उन्होंने कहा कि ‘प्रदर्शन उनका (किसानों) मौलिक अधिकार है।’