नई दिल्ली। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारती की रेटिंग को सूखे की आशंका से जोड़ दिया है। उसका कहना है कि भारत इस साल सूखे की चपेट से बच सकता है। लेकिन, भविष्य में सूखा पड़ने या बारिश में कमी की आशंका से देश के सॉवरेन क्रेडिट पर दबाव बन सकता है।
मूडीज का मानना है कि भारत में मानसून की चिंता एक हद तक कम हो गई है, लेकिन हालात सुधारने के लिए सरकार की ओर से बड़े कदम उठाए जाने की जरूरत है। एजेंसी ने भारतीय इकोनॉमी पर अपनी रिपोर्ट में इस साल आर्थिक विकास दर 7.5 फीसद रहने का अनुमान लगाया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल कृषि क्षेत्र की ग्रोथ पर दबाव रह सकता है, लेकिन सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) पर इसका खास असर नहीं होगा।
चूंकि फसलों की बुवाई और मानसून की स्थिति सितंबर अंत तक साफ होगी, लिहाजा ग्रोथ और महंगाई से संबंधित अनुमानों में बदलाव पर विचार भी इसके बाद ही होगा। मूडीज के मुताबिक मानसून की वजह से सरकारी खर्च में बड़ा उतार-चढ़ाव नजर आएगा, लेकिन अब तक की चाल के हिसाब से भारत की "बीएए3" रेटिंग बरकरार रहेगी और आउटलुक भी पॉजिटिव रहेगा।
मानसून में उतार-चढ़ाव से निपटने के मामले में सरकार की नीतियां अहम साबित होंगी। एजेंसी का कहना है कि सरकार ने खाद्य वितरण व्यवस्था बेहतर बनाने के उपाय किए हैं। सिंचाई की समस्या दूर करने की कोशिश की जा रही है। सरकार की ओर से किए गए इन उपायों का असर यदि नहीं हुआ तो रेटिंग प्रभावित हो सकती है।