रायपुर। राज्य की यूनिवर्सिटीज एवं कॉलेजों में पढ़ने वाली छात्राएं एवं महिलाएं देश के दूसरे राज्यों की अपेक्षा महिला यौन उत्पीड़न के मामले में महफूज हैं। इसे लेकर उच्च शिक्षा विभाग में खासा उत्साह है। विभाग ने सभी यूनिवर्सिटीज एवं कॉलेजों में जीरो वुमन सेक्शुअल हैरसमन्ट के टारगेट को लेकर निर्देश जारी कर दिया है।
किसी भी आपत्तिजनक शिकायत पर त्वरित निदान के लिए कहा गया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में पिछले एक अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2015 के बीच वुमन सेक्शुअल हैरसमन्ट के केस की संख्या 2 है। जो कि दूसरे राज्यों की अपेक्षा बेहतर स्थिति में है। इसके अलावा महाराष्ट्र और त्रिपुरा में भी वुमन सेक्शुअल हैरसमन्ट के केस की संख्या 2 है।
यूपी और दिल्ली में सबसे ज्यादा
आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली और उत्तरप्रदेश में उच्च शिक्षा के शैक्षणिक संस्थानों में महिलाएं यौन उत्पीड़न का अत्यधिक शिकार हो रही हैं। इनमें दिल्ली में 27 एवं उत्तर प्रदेश में 23 मामले आए हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड , केरल, कर्नाटक और असम में स्थिति और बेहतर है। इन राज्यों से सिर्फ एक-एक मामले रिकार्ड हुए हैं।
84 यूनिवर्सिटीज में 75 मामले
देश के 84 यूनिवर्सिटीज में महिला लेक्चरर, प्रोफेसर्स एवं शैक्षणिक संस्थाओं के प्रमुख और महिला रिसर्च स्कॉलर की प्रतिक्रियाओं से मिली जानकारी के हिसाब से 75 मामले यौन उत्पीड़न के सामने आए हैं।
जीरो का टारगेट है
एमएचआरडी की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के उच्च शैक्षणिक संस्थानों में जिस तरह से वुमन सेक्शुअल हैरसमन्ट के केस कम बताए जा रहे हैं। ये हमारे लिए खुशखबर है। उच्च शिक्षा विभाग ने जीरो वुमन सेक्शुअल हैरसमन्ट का टारगेट बनाया है।
– आरबी सुब्रमणियम, अपर संचालक, उच्च शिक्षा विभाग।
हमारे यहां बहुत अच्छी स्थिति
शैक्षणिक संस्थाओं में छात्राएं एवं महिलाएं वाकई महफूज हैं। यह भी हो सकता है रिपोर्ट न होने की वजह से ये आंकड़ा कम हो लेकिन यह गर्व से कह सकते है कि हमारे राज्य में दूसरे राज्यों से बेहतर स्थिति है। यहां समाज में यह देखा जाता है कि यहां महिलाओं का प्रभुत्व है। राज्य सरकार भी महिलाओं को पूरा ख्याल रख रही है। हर शैक्षणिक संस्थानों में वुमन सेक्शुअल हैरसमन्ट के लिए बकायदा सेल काम कर रहा है।
– डॉ. प्रियंबदा श्रीवास्तव, एसोसिएट डायरेक्टर, वुमन स्टडी सेंटर, रविवि।