छत्तीसगढ़–14 सालों में साढ़े 14 हजार से अधिक किसानों ने की आत्महत्या

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछले 14 सालों में 14793 किसानों ने आत्महत्या की है। ये रोंगटे खड़े कर देने वाले आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के रिकॉर्ड में दर्ज हैं। किसानों की खुदकुशी का यह ग्राफ और भी भयानक हो सकता था, लेकिन एनसीआरबी ने 2011 से 2013 की अवधि में ऐसी मौतों की गणना नहीं की। खेती की बढ़ती लागत, खेती में हो रहे लगातार नुकसान के चलते किसान परेशान हैं।

वर्ष 2014 के लिए एनसीआरबी की जारी रिपोर्ट में किसानों की खुदकुशी के मामले में महाराष्ट्र, तेलंगाना और मध्यप्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ चौथे स्थान पर है। उल्लेखनीय है कि भाजपा ने 2013 के विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि वह किसानों को धान पर 300 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देगी, मगर सरकार ने पिछली बार से धान पर बोनस देना बंद कर दिया है।

भाजपा ने यह चुनावी वादा भी किया था कि वह किसानों से 2100 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर धान खरीदेगी, लेकिन बीते दो सालों में 50 रुपए प्रति क्विंटल एमएसपी बढ़ा है, जबकि उत्पादन लागत 20 प्रतिशत बढ़ी है। पिछले साल किसानों ने फसलों का मौसम आधारित बीमा करवाया था। इसका फायदा तो किसानों को नहीं मिला, उल्टे उनकी जेब से करोड़ों स्र्पए निकल गए और बीमा कंपनियों के लिए फायदे का सौदा साबित हुआ।

 

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