बालाघाट(मध्यप्रदेश)। एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से नक्सली क्षेत्रों में निवासरत राष्ट्रीय मानव दर्जा प्राप्त आदिवासी बैगाओं के उत्थान के लिए अब ‘उन्नति’ का सहारा लिया जाएगा। दरअसल, बैगाओं का विकास करने के लिए कलेक्टर ने एक उन्नति नामक एड्राइंड ऐप तैयार किया है। जिसमें बैगाओं का सर्वे कराकर उनकी सारी कुडंली तैयार की जाएगी।
बालाघाट के तीन आदिवासी अंचल बिरसा, बैहर, परसवाड़ा जपं के बैगाओं का सर्वे कर उनकी वर्तमान स्थिति का पता लगाने के लिए उन्नति ऐप को तैयार करवाया गया है। जिस पर प्रथम चरण में सर्वे का कार्य किया जाएगा।
कैसे बना उन्नति
जानकारी के अनुसार उन्नति नामक एप का अंग्रेजी में नाम यूएनआई यानि ‘अपलिफमेंट ऑफ ट्राइबल्स इन नक्सल अफेक्टेड एरिया थ्रो इन्ट्रीग्रेटेड ऐप’ से बना है। इसमें सर्वे दौरान बैगाओं के बारे क्या-क्या जानकारी चाहिए है। इस अपलोड कर दिया गया है। इसके बाद यह सर्वे का कार्य शुरू किया जाएगा।
घर-घर जाएंगे प्राचार्य
जानकारी के अनुसार इस कार्य के लिए सहायक आयुक्त विभाग की मदद से लगभग 40 प्राचार्यों से सर्वे का कार्य कराया जा रहा है। इसमें प्राचार्यों के स्कूलों के कम्प्यूटर ऑपरेटर की भी मदद ली जा रही है। ये दोनों बैगाचक क्षेत्र में जाकर हर परिवार की पूरी जानकारी लेंगे।
टेबलेट से करेंगे सर्वे
इस कार्य के लिए सभी सर्वे कर्ताओं को प्रशासन द्वारा पीसी टेबलेट दिए गए है। इसमें सारी जानकारी एप के माध्यम से अपलोड होगी। उसे बैगा परिवार के मुखिया से पूछ कर ऐप में सेव कर देंगे। इस प्रकार से उसमें उनका पूरा डाटाबेस तैयार हो जाएगा।
26 हजार बैगा
जिले में तीन जनपदों में लगभग 26 हजार बैगा निवासरत हैं। जिनका सर्वे अगले 20 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। इसके अलावा इस सर्वे में उन परिवारों को जोड़ा गया है। जिनका नाम वन अधिकार पट्टे की सूची में शामिल है।
यह मिलेगी जानकारी
केन्द्र व राज्य शासन द्वारा जो राशि बैगाओं के विकास के लिए मिलती है। उसका क्या उपयोग किया गया। जिसमें बैगा झोपड़ी बनाकर रहते हैं या नहीं। घर में अंधेरा छाया है या नही। पानी के लिए झिरिया ही सहारा है या और कुछ। क्षेत्रों में हैंडपंप फेल है या फिर हैंडपंप ही नहीं लगे हैं। इन सब बातों का पूरा डाटा कलेक्ट किया जाएगा।
हर विभाग की तय होगी जिम्मेदारी
इस एप के माध्यम से बैगाओं के विकास में जो भी सच सामने आएगा। उसमें उस विभाग की जिम्मेदारी भी तय कर दी जाएगी। यानि मुख्यरूप से वन, राजस्व और पुलिस की जवाबदारी ज्यादा तय रहेगी। इसके अलावा कृषि विभाग, उद्यानिकी, ट्राइबल, पीएचई को भी जोड़ा जाएगा।
क्यों लिया यह निर्णय
जिले में बैगाओं के विकास के लिए सालाना दो से तीन करोड़ रुपए की राशि विभिन्न मदों से प्राप्त होती है। इसके बाद भी आज बैगा स्वच्छ पानी और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए तरस रहे हैं। यहां तक की बैगा आज भी खुले पैर चलने को मजबूर हैं। इसके अलावा इन्हें बैगा आवास, खेती बाड़ी, पंप मोटर, स्वास्थ्य शिविर, जूता-चप्पल, खाद कीट सहित अन्य प्रकार के कार्य के लिए राशि और सामग्री देने का प्रावधान है लेकिन यह राशि और वस्तुए बैगाओं तक पहुंच ही नहीं पाती।
जिला प्रशासन की कमजोरी की वजह से कईबार तो विभाग से राशि शासन को वापस हो जाती है। ऐसे कई सारे कारणों की वजह को ध्यान में रखते हुए यह सर्वे कराया जा रहा है। ताकि वास्तविक तौर पर बैगाओं को लाभ मिल सके।
बैगाओं की वास्तविक स्थिति को परखने व उन तक वास्तविक लाभ पहुंचाने की दृष्टि से बैगाओं के सर्वेक्षण कार्य कराया जाएगा। यह पहल उन्नति नामक एक ऐप के जरिए की जाएगी। इस ऐप से बैगाओं को पूरा डाटा बेस तैयार कर इनका विकास किया जाएगा। -व्ही किरण गोपाल, कलेक्टर