जिला उद्यानिकी विभाग के मिले आंकड़ों के मुताबिक जिलेभर में करीब 8 हजार किसान अब अपनी खेती भूमि के लगभग 10 फीसदी हिस्से को फल-सब्जियों की खेती में इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसमें बकायदा राज्य शासन से जारी अनुदान के साथ हाईटेक एरिकेशन प्रणाली का भी उपयोग कर नई तकनीकों के साथ फल व सब्जियों की फार्मिंग की जा रही है।
खेती की इस पद्घति से क्षेत्र में हार्टिंकल्चर एरिय ने बढ़त तो ली है साथ ही किसानों की भी आर्थिक स्थिति में बढ़ा सुधार दर्ज किया जा रहा है। खास बात यह है कि वर्तमान में हो रही खेती में प्रतिकूल माहौल के फसलों की भी सफलता के साथ पैदावार की जा रही है।
बड़े हिस्से में जारी खेती
वर्तमान में जिले के 25 हजार हेक्टेएयर क्षेत्र में फल-सब्जी व मसालों की खेती किसानों द्वारा की जा रही है। जिसमें करीब 300 किसानों द्वारा इस खेती को पूरी तरह अपना जा चुका है, जो अपने पास मौजूद कृषि क्षेत्र में पूर्ण रूप से फलों व मसालों की खेती करने में जुटे हुए है। ऐसे फसलो की खेती का दयरा बीते पांच में दोगुना हो चुका है। सामान्य तौर पर धान, चना व सोयाबीन की खेती को प्राथमिकता देने वाले जिले के किसान अब हार्टिकल्चर की ओर तेजी से रूचि ले रहे है। उनकी उपज की डिमांड अब राजधानी के माध्यम से अन्य प्रदेशों तक पहुंचने लगा है।
दोगुना मुनाफा कमा रहे
अपने कृषि भूमियों को फार्म के रूप में डेवलप करने में उद्यानिकी विभाग भी किसानों को बड़ी मदद कर रहा है। शासन द्वारा जारी विभिन्न योजनाओं के लाभ के साथ क्षेत्र के छोटे-बड़े सभी किसानों ने फल,सब्जी व मसालों की खेती को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है। जिसके चलते उन्हे अन्य फलसों की तुलना में सालभर व दोगुना मुनाफा मिलने लगा है। खासकर इस तरह की खेती में वनांचल के किसानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
इन फसलों से आयी क्रांति
जिले केकिसान अनार, मुसंबी, हल्दी, केला, सीताफल, नीबू व बेर के साथ 40 अलग-अलग प्रकार के फल व सब्जियों की खेती में जुटे हुए हैं। जिनसे मिलने वाले मुनाफे ने हार्टिकल्चर के क्षेत्र में सकारात्मक क्रांति ला दी है। किसान इनसे मिलने वाले मुनाफे से खुद को सुदृढ करने में तो लगे हुए हैं। वहीं शासन से मिल रहे विभिन्न सहयोगों का भी जमकर उपयोग कर रहे हैं।
नई तकनीकों का भी उपयोग
इस तरह की खेती में क्षेत्र के किसान आधुनिक तकनीकों व पद्घतियों का भी जमकर इस्तेमाल करने में लगे हुए है। खासकर ड्रिप एरिकेशन सिस्टम के माध्यम सेफार्मों में फसलों के ग्रोथ के अलावा क्लोनिंग सिस्टम से बगैर रासायनिक खादों का उपयोग करे, पैदावार में इजाफा किया जा रहा है। जिसके लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा भी किसानों तक पहुंचकर तकनीकों की जानकारी दी जा रही है। छोटे से लेकर बड़े किसानों में खेती को लेकर आए बदलाव के बाद जिले को राज्य स्तर पर कृषि में विशेष पहचान मिलने लगी है।
हार्टिकल्चर के क्षेत्र में बीते कुछ सालों में सकारात्मक बदलाव आया है, किसान अब फल, सब्जियों व मसालों की बारासामी खेती कर तगड़ा मुनाफा कमा कर रहे है। ऐसा बदलाव जिले को कृषि क्षेत्र में विशेष स्थान भी दिला रहा है।
– नीरज शाहा, सहायक संचालक, उद्यानिकी